अवैध
हिरासत में साध्वी ऋतंभरा को रखने के मामले में दिग्विजय का बयान दर्ज
साध्वी
ऋतंभरा को मध्य प्रदेश में साल 1995 में कथित रूप से अवैध हिरासत में रखे जाने के
मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार को इंदौर में अपना बयान
दर्ज कराया। उनका बयान लंबे समय से टल रहा था। जिला अदालत में पिछले दो दशक से
लंबित मामले में आरोप है कि दिग्विजय की अगुआई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने
साध्वी को बेबुनियाद आरोपों में गिरफ्तारी के बाद चार दिन तक अवैध हिरासत में रखा
था। इस कथित प्रताड़ना के बदले उन्होंने 51 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
जिला
अदालत द्वारा आयुक्त के रूप में नियुक्त वरिष्ठ वकील वेदप्रकाश शुक्ला के सामने
दिग्विजय हाजिर हुए। उन्होंने एक स्थानीय होटल में करीब चार घंटे चली सुनवाई के
दौरान अपना विस्तृत बयान दर्ज कराया। पूर्व मुख्यमंत्री ने जिरह के वक्त वादी के
वकीलों के विभिन्न सवालों के जवाब भी दिए। दिग्विजय ने इस आशय का बयान दिया कि
साध्वी ऋतंभरा के सम्बद्ध मामले में पुलिस और प्रशासन के तत्कालीन अफसरों ने
संविधान से मिली कानूनी शक्तियों के इस्तेमाल से उस समय जन हित में आवश्यक कदम
उठाए थे।
दिग्विजय
ने वर्ष 2011
में इस मामले में अपना बयान दर्ज कराया था। हालांकि, तब उनका बयान अधूरा रह गया था। साध्वी
ऋतंभरा के दायर मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के अलावा पुलिस और प्रशासन के कुछ
तत्कालीन अफसरों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। साध्वी के वकील नरेश माहेश्वरी ने
बताया कि सार्वजनिक शांति भंग होने की आशंका के नाम पर उनकी मुवक्किल को दंड
प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 के तहत 23 और 24 अप्रैल 1995 की दरम्यानी रात इंदौर से गिरफ्तार
किया गया था।
साध्वी
का आरोप है कि दिग्विजय सरकार ने साध्वी को इंदौर के पलासिया पुलिस थाने और फिर
ग्वालियर की जेल में चार दिन तक अवैध हिरासत में रखा था। इसके बाद कथित भड़काऊ
भाषण देने के अलग मामले में पड़ोसी देवास जिले की एक अदालत में 27 अप्रैल 1995 को पेश किया था। यह मामला भारतीय दंड
विधान की धारा 153-ए
(सांप्रदायिक सौहार्द्र पर विपरीत असर डालने वाला कार्य) के तहत देवास जिले के
पुलिस थाने में दर्ज किया गया था। माहेश्वरी के मुताबिक साध्वी ऋतंभरा को अलग-अलग
अदालतों द्वारा दोनों मामलों में आरोपों से पहले ही बरी किया जा चुका है।
No comments:
Write comments