Thursday, 13 July 2017

चीन से विवाद सुलझाने में किया जा रहा है राजनयिक रास्तों का इस्तेमाल

चीन से विवाद सुलझाने में किया जा रहा है राजनयिक रास्तों का इस्तेमाल

डोकलाम को लेकर चीन की ताजा घुड़की के एक दिन बाद भारत सरकार ने साफ किया कि इस विवाद को सुलझाने के लिए मौजूद राजनयिक रास्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है.' भारत ने इसके साथ ही चीन की तरफ से कल दिए गए उस भड़काऊ बयान को भी खारिज किया है, जिसमें उसने क्षेत्र में 'शांति और स्थिरता' स्थापित करने के लिए कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की बात कही थी.
चीन की तरफ से जारी तनातनी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि जर्मनी के हैम्बर्ग में हुई हालिया जी-20 बैठक से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर संवाद हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष डोकलाम मुद्दे पर डिप्लोमैटिक चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो आगे भी जारी रहेगा.
वहीं कश्मीर पर रचनात्मक भूमिका निभाने की चीन की इच्छा पर गोपाल बागले ने कहा कि मामला भारत में सीमा पार आतंकवाद का है, जो कि देश, क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति के लिए खतरा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'जहां तक कश्मीर का सवाल है, भारत की नीति हमेशा से ही स्पष्ट और एक जैसी रही है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर समेत दूसरे सभी मुद्दे द्विपक्षीय ढंग से सुलझाए जाएंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.'
बता दें कि डोकलाम विवाद को लेकर भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को अपना मोहरा बनाते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वहां के हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान दक्षिण एशिया के अहम देश हैं. कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास टकराव जारी है. इससे ना दोनों देशों बल्कि पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता को नुकसान है.'
दरअसल भारत शुरू से ही कश्मीर को आंतरिक मामला बता कर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की किसी भी कोशिश को शुरू से खारिज करता रहा है. ऐसे में चीन का यह बयान भारत को चिढ़ाने के मकसद से ही दिया गया प्रतीत होता है.

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