Wednesday, 10 May 2017

उच्च न्यायालय की टिप्पणी काबिले गौर- अरविन्द भदौरिया

उच्च न्यायालय की टिप्पणी काबिले गौर- अरविन्द भदौरिया
 

                भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री अरविन्द भदौरिया ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तीन तलाक की विवादित प्रथा और पर्सनल ला को लेकर चल रही बहस के बीच जो अहम टिप्पणी की है काबिले गौर है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि मानवाधिकारों को संविधान का कवच मिला है। मूल अधिकारों को कोई भी व्यक्तिगत कानून बेअसर नहीं कर सकता है। न्यायालय ने महिलाओं के सम्मान में तीन तलाक को अवरोध माना है और कहा है कि जहां महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना नहीं है उसे सभ्य समाज नहीं कहा जा सकता है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि मुस्लिम महिलाएं भी अनुच्छेद 14, 15, 21 के मूल अधिकारों की हकदार है। उच्च न्यायालय तीन तलाक से पीड़ित वाराणसी की महिला समालिया के प्रकरण पर विचार कर रही थी। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मामले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि इस विवाद का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। इस गलत परंपरा को मुल्ला मौलवियों को सुधारने की पहल करना चाहिए। जब अदालत में तर्क आया कि तीन तलाक का मामला शरीयत से जुड़ा है तो अदालत ने सटीक टिप्पणी की है कि संविधान के उपर कोई पर्सनल लाॅ बोर्ड लागू नहीं होता। न्यायालय का यह कथन मौजू है कि तीन तलाक, फतवे का कोई संवैधौनिक, नैतिक आधार नहीं है। समय के बदलते क्रम में समाज को बदलना चाहिए। ठहरा पानी भी गंदा होने लगता है। यह कथन सभी के लिए हितकर और विचारणीय है।

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