Tuesday, 23 January 2018

मालवा को जलसंकट से उबारने का ऐतिहासिक संकल्प

मालवा को जलसंकट से उबारने का ऐतिहासिक संकल्प

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मालवा को जलसंकट से उबारने का ऐतिहासिक संकल्प साकार होना निश्चित हो गया है। मुख्यमंत्री ने उज्जैन प्रेस क्लब में इस संकल्प को व्यक्त करते हुए कहा था कि मालवा की दम तोड़ रही क्षिप्रा, गम्भीर, पार्वती और कालीसिंध नदियों को नर्मदा जल से पुनर्जीवित किया जायेगा। तब असंभव दिखने वाला यह संकल्प अब दृढ़ इच्छाशक्ति की ऊर्जा से साकार हो रहा है।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने इस सर्वाधिक कठिन और जटिल चुनौती को पूर्ण करने का मार्ग निश्चित कर लिया है। पहले, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में नर्मदा-क्षिप्रा-सिंहस्थ लिंक योजना को केवल 14 माह में पूरा कर यह प्रमाणित किया कि नर्मदा को चार सौ मीटर ऊंचे मालवा पठार पर लाना संभव है। इस उपलब्धि के बाद मुख्यमंत्री ने नर्मदा नियंत्रण मण्डल के अध्यक्ष के रूप में नर्मदा-गम्भीर, नर्मदा-पार्वती, नर्मदा-कालीसिंध लिंक और नर्मदा-क्षिप्रा लिंक (दूसरे चरण) की योजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता से प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की। इन नर्मदा-मालवा लिंक योजनाओं पर कुल 20 हजार 409 करोड रूपये का व्यय होगा। लिंक योजनाएं मालवा अंचल के इन्दौर, उज्जैन, शाजापुर, सीहोर, देवास, राजगढ़ जिलों में 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर विशाल कृषि क्षेत्र को नर्मदा जल पहुँचायेंगी। इन योजनाओं से मालवा में पेयजल और औद्योगिक जल का संकट पूरी तरह समाप्त हो जायेगा।

लिंक योजनाओं का कार्य तेजी से जारी है। नर्मदा-मालवा-गम्भीर लिंक का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। निकट भविष्य में इन्दौर, उज्जैन जिले के 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र तक नर्मदा जल पहुँचने लगेगा। नर्मदा-पार्वती लिंक (प्रथम चरण) और नर्मदा-कालीसिंध (प्रथम चरण) का निर्माण आरम्भ करने के लिये टेण्डर प्रक्रिया आरम्भ की जा चुकी है। नर्मदा-कालीसिंध और नर्मदा-पार्वती लिंक के द्वितीय चरण का निर्माण भी निकट भविष्य में हाथ में लिया जायेगा।

नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष श्री रजनीश वैश ने बताया कि उज्जैन, देवास नगरों को पर्याप्त पेयजल तथा दिल्ली मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर तथा देवास के उद्योगों को औद्योगिक जल सुलभ कराने के लिये नर्मदा-क्षिप्रा संगम-स्थल से एक विशेष ग्रेविटी पाइप लाईन डाली जा रही है जिससे बिना पम्पिंग के 2.2 क्यूमेक्स जल की सीधे लक्ष्य तक पूर्ति की जा सकेगी।

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