कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की
ताजपोशी
- सोनिया
गांधी ने की नये अध्यक्ष की ताजपोशी
- पहले
भाषण में भाजपा पर बोले राहुल- वो आग लगाते हैं, हम बुझाते हैं
- सोनिया
बोलीं- मेरे बेटे ने व्यक्तिगत हमले झेले, इससे वह मजबूत बना
- रायबरेली
से सोनिया की जगह प्रियंका के चुनाव लडऩे की खबर को प्रियंका ने किया खारिज, बोलीं- सोनिया ही लड़ेंगी चुनाव
नई दिल्ली । 132 वर्ष पुरानी कांग्रेस पार्टी को 19 साल बाद आखिरकार राहुल गांधी के रूप
में युवा अध्यक्ष मिल गया। शनिवार को राहुल ने अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। 28 दिसंबर 1885 को गठित हुई कांग्रेस में राहुल 87वे अध्यक्ष बने हैं। वे गांधी परिवार 6 वें अध्यक्ष हैं। 19 साल तक अध्यक्ष रही सोनिया गांधी के
नाम नया रिकॉर्ड जुड़ गया। वे अब तक की सबसे अधिक समय अध्यक्ष रहने वाली शख्स बन
गईं। चुनाव प्राधिकरण के चेयरमैन और कांग्रेस नेता मुल्लापल्ली रामचंन्द्रन ने मंच
पर पहुंच कर राहुल गांधी को सर्टिफिकेट सौंपा। राहुल 2013 में कांग्रेस महासचिव से उपाध्यक्ष
बनाये गए थे।
अध्यक्ष के तौर पर पहले संबोधन में राहुल गांधी
ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए भाजपा पर जोरदार हमला किया और कहा कि हम
कांग्रेस को ग्रैंड ओल्ड व यंग पार्टी बनाने जा रहे हैं। राहुल बोले- कांग्रेस ने
भारत को 21वीं
सदी में पहुंचाया, लेकिन
प्रधानमंत्री हमें पीछे ले जा रहे हैं। एक बार आग लगाने के बाद बुझाना मुश्किल है।
बीजेपी के लोगों ने देश में आग लगाई है। वे आवाज को दबाते हैं लेकिन हम उन्हें
बोलने का मौका देते हैं। वे हमारे उपर हमले करते हैं, लेकिन हम उनका सम्मांन करते हैं।
इंदिरा-राजीव का बलिदान व्यर्थ न जाए, इसलिए राजनीति में आई
निवृतमान अध्यक्ष सोनिया गांधी भावुक होकर
बोलीं- मैं राजनीति में सिर्फ इसलिए आई क्योंकि नहीं चाहती थी कि राजीव गांधी और
इंदिरा का बलियान व्यर्थ चला जाए। सोनिया ने कहा कि वह देश के प्रति कर्तव्यों को
समझते हुए राजनीति में आई थीं और जब तक वह अध्यक्ष पद पर रहीं, सभी कार्यकर्ताओं ने उनका पूरा साथ
दिया। उन्होंने कहा कि वह साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी की
अध्यक्ष बनी थीं।
राहुल के समक्ष यह चुनौती
सोनिया के दौर में यूपीए-1 और यूपीए-2 की सरकार बनाने में सोनिया की
महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हालाकि सोनिया के 19 साल अध्यक्ष पद के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस
अपने निचले स्तर पर दो बार पहुंची। एक बार 1999 में जब कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं (उस वक्त तक यह
कांग्रेस का सबसे निचला आंकड़ा था) और इसके बाद 2014 में जब कांग्रेस को केवल 44 सीटें ही मिल सकीं। कभी पूरे देश पर
शासन करने वाली कांग्रेस अब केवल कर्नाटक, पंजाब और कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों में शासन करने तक सिमट गई है।
अगले छह महीनों में कर्नाटक में चुनाव होने हैं और यह तय नहीं है कि कांग्रेस वहां
सत्ता में वापसी कर पाएगी।
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