Wednesday, 26 July 2017

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरवगाथा का गवाह राष्ट्रपति भवन!

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरवगाथा का गवाह राष्ट्रपति भवन!
रामनाथ कोविंद आज देश के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली । आज से ५ सालों तक रामनाथ कोविंद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के गौरवगाथा की गवाह बनी इमारत यानी राष्ट्रपति भवन में रहेंगे। यो वो इमारत है जिसमें हमारे हमारे देश के सवा सौ करोड़ लोगों की आन बान और शान के प्रतीक महामहिम राष्ट्रपति निवास करते हैं। रहस्य और रोमांच से भरे महामहिम के इस महल को बनने में १७ साल लगे थे। जिस वक्त इस इमारत की नींव पड़ी उस वक्त हमारा मुल्क गुलाम था। हमारे देश पर अंग्रेजों का राज हुआ करता था। अंग्रेजों ने जब कोलकाता से हटाकर दिल्ली को नई राजधानी बनाने का फैसला किया तब अंग्रेजों के सबसे बडे हुक्मरान वायसराय के रहने के लिए इस महल को बनाने का काम शुरू किया। अंग्रेजों का जमाना गया और फिर १९५० में देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद इसमें रहने आए। उसी के बाद से इस इमारत को राष्ट्रपति भवन कहा जाने लगा। इससे पहले तक इसे वायसराय हाउस के नाम से जाना जाता था। राजेंद्र बाबू के बाद से देश के तमाम राष्ट्रपति इसी भवन में रहते आए हैं।
    राष्ट्रपति इस भवन के मुख्य इमारत में नहीं रहते। राष्ट्रपति बिल्डिंग के अतिथि गृह में ही रहते हैं। इसकी भी एक कहानी है। असल में प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी जब यहां रहने आए तो उन्हें मुख्य शयन कक्ष पसंद नहीं आया और वो अतिथि गृह में रहने लगे। उसी परंपरा का पालन करते हुए तमाम राष्ट्पति अतिथि गृह में ही रहना पसंद करते हैं। राष्ट्रपति भवन २ लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। इसे बनाने में लोहे का कम इस्तेमाल किया है। इस ४ मंजिला बिल्डिंग में कुल ३४० कमरे हैं। सबसे पहले राष्ट्रपति भवन में मुख्य दरबार हॉल आता है। इसी दरबार हॉल में देश के कई प्रधानमंत्री शपथ ले चुके हैं। सबसे पहले प्रधानमंत्री नेहरू को यही शपथ दिलाई थी। दरबार हॉल में महामहिम के लिए जो कुर्सी लगी हुई है उसी कुर्सी के बराबर में इंडिया गेट का ऊपरी हिस्सा आता है। असल में राष्ट्रपति भवन रायसीना की पहाड़ियों पर बना हुआ है। उस जमाने में रायसीना जयपुर रियासत का हिस्सा हुआ करता था और जयपुर रियासत ने ही वायसराय के रहने के लिए बनाये जा रहे इस भवन के लिए जमीन दी थी। देश में जब भी कोई बड़ा विदेशी मेहमान आता है तो यही राजकीय सम्मान के साथ स्वागत किया जाता है। राष्ट्रपति के खानसामा से लेकर निजी सुरक्षा गार्ड सब यही इसी भवन में रहते हैं। राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन की अपनी एक अलग कहानी है। मुगल गार्डन में ५०० से ज्यादा तरह के फूल पाये जाते हैं। सिर्फ गुलाब की ही १२५ से ज्यादा किस्में यहां पाई जाती है। यहां म्यूजिकल गार्डन से लेकर स्पीरिचुएल गार्डन और हर्बल गार्डन भी है। फरवरी महीने में हर साल आम लोगों के लिए मुगल गार्डन खुलता है और हजारों लोग इसकी खुबसूरती का आनंद लेने यहां पहुंचते हैं।

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