10 वर्ष की हुई ‘‘कर्मश्री’’ कांवड़ यात्रा
होशंगाबाद से नर्मदा जल लाकर गुफा मंदिर में करेंगे अभिषेक
भोपाल। लम्बे समय से देष के हृदय प्रदेष की राजधानी में धर्म, संस्कार, समाज और संस्कृति के लिए समर्पित संस्था ‘‘कर्मश्री’’ द्वारा प्रतिवर्ष श्रावण मास में निकाली जाने वाली कांवड़यात्रा के इस बार 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। संस्था के अध्यक्ष, हुजूर विधायक और भाजपा के प्रदेष उपाध्यक्ष रामेष्वर शर्मा के नेतृत्व में हजारों भगवाधारी कांवड़िए 29 जुलाई को होषंगाबाद से कांवड में नर्मदाजल लेकर भोपाल के लिए निकलेंगे और 31 जुलाई को भोपाल पहुंचकर गुफा मंदिर में भगवान के आषुतोष स्वरूप का कांवड़जल से अभिषेक करेंगे। कांवड़यात्रा के संयोजक रामेष्वर शर्मा ने बताया कि कांवड़यात्रा के लिए सभी कांवड़यात्री भोपाल से 28 जुलाई को अपरान्ह होषंगाबाद के लिए रवाना हो जाएंगे। इसी दिन सांयकाल होषंगाबाद के प्रसिद्ध नर्मदातट सेठानी घाट पर माॅ नर्मदा का आरती पूजन किया जाएगा। इसके अगले दिन 29 जुलाई को अलसुबह 7 बजे होषंगाबाद के प्रसिद्ध सेठानी घाट से कांवड़यात्रा की शुरूआत होगी। यहां से कांवड़िए अपनी कांवड़ में नर्मदा जल भरकर भोपाल की ओर रवाना होंगे। कांधों पर आस्था की कांवड़ उठाए कांवड़िए तीन दिनों में होषंगाबाद से गुफा मंदिर भोपाल । यहां 31 जुलाई को कांवड़जल से भगवान आषुतोष का जलाभिषेक किया जाएगा। कांवड़यात्रा में हुजूर विधानसभा सहित आसपास के क्षेत्रों के 353 गाँवों एवं 35 बस्तीयों से हजारों कांवड़िये शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि कांवड़ियों के पंजीयन का कार्य लगातार चल रहा है, गौरतलब है कि ‘‘कर्मश्री’’ की यह कांवड़यात्रा मध्यभारत का अपने तरह का सबसे बड़ा और अनूठा आयोजन होता है जिसमें तीन दिन तक राजमार्ग पर षिवभक्तों की भक्ति देखते ही बनती है।
जन कल्याण के संकल्प लेकर चलंेगे कांवड़िए: रामेष्वर शर्मा
कांवड़ यात्रा में शामिल हज़ारों कांवड़िए एक ओर तो कांधे पर कांवड़ उठाए धर्म और प्रकृति के प्रति अपना श्ऱद्धाभाव अर्पित कर पुण्य लाभ के लिए निकलेंगे तो दूसरी ओर मन में जन कल्याण के संकल्प लेकर कांवड़यात्रा मार्ग में इन संकल्पों का प्रसार करते हुए भी चलेंगे। कांवड़यात्रा के संयोजक विधायक रामेष्वर शर्मा ने बताया कि हर बार हम कांवड़यात्रा के माध्यम से धर्म-समाज-प्रकृति और राष्ट्र के प्रति जनजागरण के संकल्प करवाते हैं। इस बार भी पंरपरानुसार कांवड़यात्रा में शामिल कांवड़िए स्वच्छता का संदेष देते हुए चलेंगे, साथ ही बेटी-गौवंष-जल बचाओ, वृक्ष लगाओ, धर्म चेतना-राष्ट्रचेतना का प्रसार और नषामुक्त भारत का संदेश लेकर यात्रा करेंगे और इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लोगों को कृतसंकल्पित करने का काम करेंगे। उद्देश्यों के बारे में विस्तार से समझाते हुए उन्हांेने कहा कि देष के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत का नारा दिया है। स्वच्छ भारत ही स्वस्थ भारत हो सकता है। बेटी बचाओ इसीलिए कि बेटी शक्तिस्वरूपा है, बेटी से सृष्टि का अस्तित्व है, पानी बचाओ इसीलिए क्योंकि पानी नहीं होगा तो शिव का अभिषेक कैसे होगा ? गौवंश बचाओ इसीलिए कि शिव का नंदी गौवंश से ही तो है। पेड़ लगाओ इसीलिए कि पेड़ों से ही तो शिव को अर्पित होने वाला बिल्वपत्र मिलेगा। धर्मचेतना-राष्ट्रचेतना और नषामुक्त भारत से नागरिकों में अपने धर्म और संस्कृति के प्रति प्रेम लगातार बना रहेगा और लोग भौतिकतावादी बुराईयों से दूर रह सकेंगे। उन्होनें कहा कि कांवड़यात्रा के तीन दिनों के दौरान धर्म-समाज-प्रकृति और राष्ट्र के प्रति श्रद्धा की जो अलख जगेगी वह गांव-गांव तक जाएगी और पूरे समाज को जागरूक करने का काम करेगी। श्री शर्मा ने कहा कि समाज में दायित्वबोध का भाव जगाने का काम शनैः षनैः ही हो सकता है और कांवड़िए प्रतिवर्ष इस पथ पर आगे बढ़ते जा रहे हैं।
धर्म और प्रकृति की ऋणी है मानवजाति: रामेष्वर
पूरी मानवजाति धर्म और प्रकृति की ऋणी है। धर्म मनुष्य की चेतना को जागृत रखता है जबकि प्रकृति मनुष्य जीवन भी देती है और उसका पोषण भी करती है जबकि बदले में हमसे कुछ लेती नहीं है। लेकिन मनुष्य होने के नाते हममे धर्म और प्रकृति के प्रति सदैव दायित्वबोध होना चाहिए। कांवड़यात्रा प्रकृति की-सृष्टि की अराधना का उत्सव है। इसमें हमारी भागीदार से हम प्रकृति के प्रति अपना दायित्व निभाते हैं। इसी प्रकार धर्म ही हमारा जीवन है, धर्म के बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं है। कहा गया है कि ‘‘धर्मो रक्षति रक्षितः’’ अर्थात जो धर्म के रक्षणार्थ कार्य करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। कांवड़यात्रा के माध्यम से हम पवित्र श्रावणमास में भगवान षिव के आषुतोष स्वरूप का पूजन करते हैं। शिव सृष्टि के देवता है और कांवड़ यात्रा सृष्टि की अराधना का पर्व है। कांवड़ यात्रा में शामिल कांवड़िए पवित्र नदियों का जल कांवड़ में भरकर भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए निकलते हैं तो वे भोलेनाथ के साथ पूरी प्रकृति की अराधना कर रहे होते हैं। अतः हर व्यक्ति को कांवड़यात्रा में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से, यथासंभव बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। श्री शर्मा ने कहा कि हमारी संस्था पिछले 09 वर्षों से लगातार कांवड़यात्रा निकालती चली आ रही है जिसमें भाग लेने वाले सभी श्रद्धालुओं का हम अभिनंदन करते हैं।
कांवड़ यात्रा का महत्व
आयोजक संस्था के अध्यक्ष एवं हुजूर विधायक रामेष्वर शर्मा ने कांवड़यात्रा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रावण शिव का महीना है। शंकर हरियाली के प्रतीक है, वे प्रकृति के देवता है। कांवड़ यात्रा के माध्यम से हम शिव की अराधना तो करते ही हैं, साथ ही संपूर्ण सृष्टि का पूजन भी करते हैं। यात्रा के धार्मिक महत्व के बारे में बताते हुए उन्हांेने कहा कि समुद्र मंथन में अनमोल रत्नों के साथ अमृत और विष भी निकला था। मानवता और सृष्टि की रक्षा के लिए शिव ने विष को अपने कंठ में धारण किया था। विष के प्रभाव से शिव का कंठ नीला पड़ गया था और वे नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवतागण शिव का गंगाजल से अभिषेक करने लगे थे। यही वजह है कि शिव भक्त दूर-दूर से कांवड़ में पवित्र नदियों का जल भरकर लाते हैं और भगवान शिव का अभिषेक कर सदैव सृष्टि की रक्षा करने और आपदाओं से रक्षा करने की कामना व्यक्त करते हैं। उन्होने बताया कि कांवड़ यात्रा धार्मिक आयोजन होने के साथ-साथ इसके सामाजिक सरोकार भी हैं। कांवड़ यात्रा के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की अराधना के लिए है। पानी मनुष्य के साथ-साथ पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों और पृथ्वी पर निवास करने वाले लाखों-करोड़ों जीव जंतुओं और संपूर्ण पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। मनुष्य के अनियमित क्रियाकलापों की वजह से पूरी सृष्टि में पारीस्थितिक असंतुलन की स्थिती उत्पन्न हो गई है। कांवड-यात्रा के माध्यम से हम सृष्टि के देवता शिव का जलाभिषेक कर मानवीय गलतियों की क्षमा मांगते हैं और उनसे पूरी सृष्टि में अच्छे मानसून और पारीस्थितिक संतुलन बनाए रखने की कामना करते हैं ।
तीन दिन में 111 किमी पैदल चलेंगे कांवड़िए
कांवड़यात्रा के संयोजक विधायक रामेष्वर शर्मा ने बताया कि कांवड़िए यात्रा शुरू होने के एक दिन पहले ही 28 जुलाई शाम को होषंगाबाद पहुंच जाएंगे। होषंगाबाद सेठानी घाट स्थित जगदीष मंदिर सहित अन्य स्थानों पर कांवड़ियों के रूकने की व्यवस्था की गई है। इसके अगले दिन 29 जुलाई को सुबह 7 बजे सेठानी घाट से कांवड़यात्रा की विधिवत शुरूआत होगी। इसी दिन मुख्य मार्ग से होती हुई यात्रा पूर्वान्ह 11 बजे बुदनी पहुंचेगी,जहां दोपहर भोजन होगा। दोपहर भोजन उपरांत यात्रा पुनः आरंभ होगी और सांयकाल बरखेड़ा पहुंचेगी। बरखेड़ा एवं उमरिया गुरूद्वारे में कांवडियों के रात्री विश्राम एवं रात्री भोजन की व्यवस्था की गई है। अगले दिन 30 जुलाई को सुबह 7 बजे यात्रा पुनः शुरू होगी और पूर्वान्ह 11 बजे तक औबेदुल्लागंज पहुंचेगी। इस दिन दोपहर भोजन औबेदुल्लागंज में होगा। दोपहर भोजन उपरांत यात्रा पुनः आरंभ होगी और इसी दिन सांयकाल 5 बजे मंडीदीप पहुंचेगी। इस दिन के रात्री भोजन एवं रात्री विश्राम की व्यवस्था मंडीदीप में की गई है। यहां से अगले दिन 31 जुलाई को यात्रा सुबह 7 बजे पुनः आरंभ होगी और बैरागढ़ चिचली के रास्ते भोपाल में प्रवेश करेगी। यहां से गेहूंखेड़ा, नयापुरा, ललितानगर ,शिवमंदिर, सर्वधर्म,बीमाकुंज,महाबली,मंदाकिनी, सर्वधर्म पुल, चूनाभट्टी नहर, चूनाभट्टी, कोलार तिराहा, निराला भवन, एकांत पार्क,हबीबगंज नाका, विटठल मार्केट, रविशंकर मार्केट, उत्कृष्ट विद्यालय, सुभाष चैराहा, 7 नंबर, बीजेपी आफिस, मुखर्जी चैराहा, मानसरोवर, प्रगती पेट्रोल पंप, अंबेडकर चैराहा, गुप्त चैराहा,राजेंद्र प्रसाद चैराहा, पर्यावास भवन, जेल पहाड़ी, जिला न्यायालय, पीएचक्यू, शास्त्री चैराहा, राजभवन, केएन प्रधान चैराहा, रविंद्र भवन, पॉलीटेक्निक चैराहा, स्वर्णकार चैराहा, राॅयल मार्केट, लालघाटी आदि मार्गों से होती हुई अपरान्ह लगभग 5 बजे गुफा मंदिर पहुंचेगी जहां यात्रा में शामिल सभी कावंडियों द्वारा कांवड़ में लाए गए नर्मदा जल से शिव का अभिषेक किया जाएगा। उन्होने बताया कि इस पूरी यात्रा मे तीन दिनों के दौरान कांवड़िए 111 किमी पैदल चलकर कांवड़यात्रा पूर्ण करेंगे।
No comments:
Write comments