राज्य महिला आयोग की राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न
समाज
में आज भी ग्रामीण परिवार की महिलाएँ संकोच में अपने ऊपर हुए किसी भी
प्रकार के हिंसा को छुपा लेती हैं। मध्यप्रदेश महिलाओं के विकास और
समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए जिले एवं ब्लाक स्तर पर समितियों का गठन
किया गया है। अब महिलाएँ अपनी बात को निसंकोच इन समितियों के मध्यम से
साझा करेंगी। यह बात महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती ललिता यादव
ने राज्य महिला आयोग की राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कही।
सखी समिति अपने क्षेत्र में महिला अत्याचार और प्रताड़ना की शिकायतकर्ता को
मार्गदर्शन देने के साथ आयोग में त्वरित शिकायत भेजेगी। साथ ही, आयोग की
कार्यशाला, शिविर और बैठकों में अपना सुझाव भी देंगी।
दिव्या
समिति आयोग अधिनियम की मंशानुसार विशेष प्रकरणों में अन्वेषण एवं
पर्यवेक्षण कार्य कर अपने अभिमत से आयोग को अवगत करवायेंगी।
करूणा समिति प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चियों के लापता होने, अपहरण, उनकी
खरीदी-बिक्री जैसी गंभीर समस्याओं में अध्ययन एवं शोध का कार्य करेंगी। साथ
ही ऐसे परिवार जो स्वयं के बच्चों की खरीदी-बिक्री के लिये सहमत होते हैं,
उनकी आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक पृष्ठभूमि और परम्परागत कारणों की
समीक्षा करेगी। इन पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये शोध कार्यों को शासन को
भेजा जायेगा।
मुक्ति समिति बेड़िया-बाछड़ा जैसी जातियों में फैली
सामाजिक कुप्रथाओं जैसे नातरा, झगड़ा आदि से महिलाओं के साथ हो रहे आर्थिक,
शारीरिक शोषण से तुरंत अवगत करवायेंगी। समिति ऐसी सभी समस्याओं के निदान के
लिये कार्य करते हुए समाज का विश्लेषण एवं महिलाओं की स्थिति का अध्ययन कर
आयोग को सुझाव देगी। समिति अपने क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक करने का भी
कार्य करेगी।
सलाहकार समिति- आयोग के अध्यक्ष और सदस्यगण को
विभिन्न वैचारिक नीतिगत मुद्दों, विधिक, नवीन योजना निर्माण, सामयिक
विषयों, समस्याओं एवं प्रकरणों के निराकरण में भी अपने सुझाव देगी। समिति
आयोग की बैठकों में भी भाग लेगी।
आनंद समिति- इस समिति का उद्देश्य परिवार एवं समाज में समरसता समानता एवं भेद भाव रहित वातावरण का निर्माण करना है।
मंत्री
श्रीमती यादव ने कहा कि शहरी क्षेत्र की महिलाएँ जागरूक है, अपने ऊपर हुई
हिंसा के निराकरण के लिए वह पुलिस और आयोग तक पहुँच जाती हैं। ग्रामीण
महिलाएँ आज भी संकोच करती हैं। इस बात की भी जानकारी नहीं है कि घरेलू
हिंसा, दुव्यवहार और शोषण की घटनाओं के निराकरण के लिए महिला आयोग गठित है।
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग द्वारा महिला उत्पीडन, नारी के प्रति अपराध
और घरेलू हिंसा एवं अन्य अपराधों को रोकने के लिए और समय रहते सूचना देने
एवं जनजगृति के उद्देश्य से विभिन्न श्रेणी की 6 समितियाँ का गठन किया गया
है।
श्रीमती यादव ने कहा कि इस समितियों को पहले प्राथमिक उपचार
करना चाहिए यानि पहले परिवारों में सामांजस्य बनाने की कोशिश करनी चाहिए
ताकि परिवार ना टूटे क्योंकि इसका सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। उन्होंने
बढ़ते हुए अपराधिक आकड़ों के बारे में कहा कि पहले महिलाएँ कम जागरूक थीं।
अब वे ज्यादा जागरूक हो गई हैं। उन्हें इस बात कि जानकारी है कि डायल 100
करने से पुलिस को सूचना दी जा सकती है और अपने ऊपर हुई किसी भी प्रकार की
हिंसा को रोकने के लिए वह पुलिस से मदद ले सकती है।
महिला आयोग की
अध्यक्ष श्रीमती लता वानखेडे ने कहा कि महिला आयोग अब हर द्वार पर
पहुँचेगा। इसके लिए सलाहकार समिति, करूणा समिति, मुक्ति समिति, जिला स्तर
पर आयोग सखी समिति, ब्लाक स्तर पर आयोग सखी संगिनी समिति, दिव्य समिति तथा
आनंद समिति का गठन किया गया है।
श्रीमती वानखेडे ने बताया कि
ग्रामीण स्तर पर पाँच सदस्यीय आयोग शक्ति समिति का गठन किया गया है। इसमें
एक आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, महिला पंच/सरपंच, आशा कार्यकर्ता और एक स्थानीय
छात्रा को शामिल किया गया है। समिति ग्रामीण महिलाओं की स्थिति का आकलन कर
उनके प्रति दुव्यवहार, अपराध और शोषण की जानकारी समय-समय पर आयोग को देती
रहेगी। समिति महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति भी जागरूक करेगी। अध्यक्ष
श्रीमती लता वानखेडे ने बताया कि 2 जुलाई को महिला आयोग सखी समितियों के
माध्यम से प्रत्येक जिले में 1000 पौधे लगायेंगी।
इस अवसर पर नगर
निगम के अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह चौहान, आयोग की सदस्य श्रीमती गंगा उइके,
श्रीमती प्रमिला बाजपेई, श्रीमती अंजू सिंह बघेल, श्रीमती संध्या सुमन राय
और श्रीमती सूर्या चौहान उपस्थित थीं।
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