पीटीआरआई में "सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन'' पर सेमीनार का समापन
सड़क
शहर की धमनी होती है, इसे क्लियर रखना बहुत जरूरी है। रोड जाम होने से शहर
थम जाता है। पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में 'सड़क सुरक्षा एवं
यातायात प्रबंधन'' पर सेमीनार के दूसरे दिन यह बात चीफ सिक्यूरिटी कमिश्नर
दिल्ली मेट्रो कॉर्पोरेशन श्री मुकुल उपाध्याय ने कही। उन्होंने कहा कि
व्यक्ति को दूसरे लोगों को अज्ञान समझकर गाड़ी चलानी चाहिये। वाहन चालक को
स्वयं सावधानीपूर्वक वाहन का उपयोग करना चाहिये, इससे सड़क दुर्घटना में कमी
आयेगी। श्री उपाध्याय ने कहा कि वाहन का हेल्थ चेक-अप समय-समय पर
करवाना अति-आवश्यक है। कई बार गाड़ी की सर्विसिंग नहीं करवाना भी दुर्घटना
का कारण बनता है। वाहनों की संख्या पर नियंत्रण भी आवश्यक है। उन्होंने कहा
कि सिंगापुर में अगर घर में पार्किंग की जगह नहीं है तो वाहन खरीदने की
परमीशन नहीं मिलती। ट्रेफिक मैनेजमेंट के लिये नया कानून लाना होगा। इसमें
पैदल चलने वाले व्यक्ति, रिक्शा-चालक आदि को भी कानून के दायरे में लाना
होगा। श्री उपाध्याय ने कहा कि मोटर वाहन के कारण 25 से 30 प्रतिशत
क्राइम होता है। इसमें गाड़ी चोरी, दुर्घटना और पार्किंग के कारण लड़ाई-झगड़ा
होना आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि दूसरे मुल्कों में सड़क का उपयोग
व्यक्ति और वाहन द्वारा किया जाता है। हमारे यहाँ इसका विभिन्न कार्यों में
उपयोग किया जाता है, जैसे पार्किंग, सामान बेचने वाले ठेले आदि। उन्होंने
बताया कि जल्द ही नया एक्ट आने वाला है। इसमें 4 साल के बच्चों और महिलाओं
को भी हेलमेट अनिवार्य किया गया है। एक्ट में कड़े प्रावधान किये जायेंगे।
ट्रेफिक सिग्नल तोड़ने, स्टॉप-लाइन के बाहर जाने आदि पर भी चालान होगा। नियम
तोड़ने वालों का लायसेंस 3 माह के लिये सस्पेंड किया जायेगा। श्री
उपाध्याय ने बताया कि आने वाले समय में टेक्नालॉजी का उपयोग इतना बढ़ेगा कि
ड्रिंक कर वाहन में बैठने पर सेंसर के जरिये अल्कोहल की स्मेल के कारण वाहन
स्टार्ट ही नहीं होगा। जब तक चालक सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करेगा, उस समय
भी गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम रेवेन्यू कलेक्शन
नहीं है। यातायात नियमों का पालन करवाना और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई
का दायित्व पुलिस का है। उन्होंने कहा कि आम आदमी को नियम को धर्मग्रंथ के
रूप में लेना चाहिये। नागरिक नियमों का ज्ञान नहीं होने पर भी कानून तोड़ते
हैं। चौराहे पर मोटर व्हीकल एक्ट सभी के लिये है। श्री उपाध्याय ने
बताया कि जुलूस, जलसा, व्हीआईपी भ्रमण के समय बंद होने वाले रास्ते और
परिवर्तित मार्ग का व्यापक प्रचार-प्रसार पहले से ही किया जाना चाहिये।
इससे आम आदमी खुद-ब-खुद असुविधा से बचने के लिये उस जगह से नहीं जायेगा। कम
से कम ट्रेफिक को रोका जाये, जिससे जाम की स्थिति न बने और व्हीआईपी के
चौराहे से निकलने के तुरंत बाद ट्रेफिक को छोड़ा जाये। फॉरेन्सिक
एक्सपर्ट डॉ. शैली लुकोस ने बताया कि सड़क दुर्घटना की जाँच करते समय पुलिस
को क्या-क्या करना चाहिये। उन्होंने दुर्घटना-जाँच के स्तर के विभिन्न घटक
की जानकारी दी। सबूत के तौर पर टॉयर मार्क्स, फिंगर प्रिंट्स आदि पर भी
ध्यान देने को कहा। उन्होंने बताया कि सड़क दुर्घटना के समय 72 प्रतिशत
प्रकरण में हेवी व्हीकल के ड्रायवर की गलती मानी जाती है
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