मध्यप्रदेश
में प्रसिद्ध पर्यटन एवं धार्मिक स्थल ओंकारेश्वर के नजदीक सेलानी नामक
स्थल पर एक और जल-पर्यटन स्थल ने आकार लिया है। खण्डवा जिले के हनुवंतिया
में विकसित वॉटर टूरिज्म कॉम्पलेक्स की तर्ज पर निर्मित किये गये इस
जल-पर्यटन केन्द्र पर बोट क्लब सहित क्रूज, जलपरी, मोटर बोट और वाटर
स्पोर्टस आदि की सुविधाएँ उपलब्ध करवायी जायेंगी। इस प्रकार एक निर्जन एवं
पहुँच से दूर इस स्थान पर पर्यटकों को ठहरने एवं जल-क्रीड़ा गतिविधियों का
लुत्फ उठाने सहित कोलाहल से दूर एक शांत और निर्मल नीर से भरे मनोरम स्थल
पर अपना कुछ वक्त बिताने की सहूलियत मिलने लगेगी। ओंकारेश्वर के नजदीक
पर्यटन निगम द्वारा विकसित सेलानी टापू रिसॉर्ट की शुरूआत 24 मई को होने जा
रही है। सांसद श्री नंदकुमार सिंह चौहान की अध्यक्षता में पर्यटन एवं
संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा एवं राज्य
पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री तपन भौमिक पर्यटन निगम के स्थापना दिवस
पर भोपाल में 24 मई को पूर्वान्ह 11.30 बजे आयोजित कार्यक्रम में इसका
शुभारंभ रिमोट के जरिये करेंगे। मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम
द्वारा लगभग तीन एकड़ क्षेत्र पर यह पर्यटन केन्द्र विकसित करने की योजना
तैयार कर उसे मूर्त स्वरूप दिया गया है। सेलानी चहुँओर से पानी से घिरे एक
टापू के रूप में स्थित है। नजदीक ही ओंकारेश्वर बाँध परियोजना है। परियोजना
के समीप होने से इस स्थान पर भरे जल का स्तर वर्षाकाल में भी न तो बढ़ता है
और न ही उसके बाद कभी कम होता है। यह टापू चारों ओर से ढलाननुमा बसा हुआ
है और यहाँ पर जंगली पेड़ कस्टार, काड़ाकूड़ा, मोहिनी, बियालकड़ी, दही-कड़ी और
धावड़ा तथा सागौन की दुर्लभ प्रजाति के पेड़ हैं। छोटी कावेरी एवं पुण्य
सलिला नर्मदा का संगम स्थल भी पास में ही है। राज्य पर्यटन विकास निगम
द्वारा तकरीबन 15 करोड़ रुपये लागत से यहाँ सर्व-सुविधायुक्त कॉटेज, प्रथम
तल पर स्थित कॉटेज पर जाने के लिये पाथ-वे, केम्प फायर, मुख्य प्रवेश
द्वार, रिसेप्शन, रेस्टॉरेंट, बोट-क्लब, कॉन्फ्रेंस हॉल, नेचुरल ट्रेल,
बर्ड-वाचिंग तथा वॉच-टॉवर आदि का निर्माण किया गया है। यहाँ चार अलग-अलग
ब्लॉक में 22 कॉटेज एवं एक सर्व-सुविधायुक्त सुईट बनाये गये हैं। हरेक
कॉटेज के पास मिनी गार्डन भी रहेगा। कॉटेज की डिजाइन इस प्रकार बनायी गयी
है, जिससे कि यहाँ बैठकर ही दूर तलक भरे हुए निर्मल नीर का आनंद उठाया जा
सकता है। कॉटेज की बालकनी में बैठकर पर्यटक घने जंगल, पानी और दुर्लभ
प्रजाति के पक्षियों को निहार सकेंगे। आस-पास के जंगल में मुख्य रूप से
हिरण, जंगली सुअर, तेंदुआ आदि वन्य-प्राणी भी स्वच्छंद विचरण करते हैं।
कॉटेज के निर्माण में सागौन की लकड़ी का उपयोग किया गया है। परिसर में
लैण्ड-स्केपिंग का काम किया जाकर फर्श पर सेंड स्टोन लगायी गयी है।
No comments:
Write comments