मध्यप्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम मजाक बनकर रह गया है
मध्यप्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम
मजाक बनकर रह गया है सरकार और आम आदमी के बीच पारदशिता कि उद्देश्य बनाया
गया सूचना का अधिकार आरटीआई अधिनियम का प्रदेश में बहुत बुरा हाल हो रहा है
विभागों में जो जानकारी नहीं देनी होती है वह अधिकारियों द्वारा कोई ना
कोई नया बहाना बता देते हैं कहीं स्टांप का बहाना कहीं राशन कार्ड का बहाना
और फिर अधिकारियों का बहाना कि मैं प्राचार्य नहीं हूं मैं प्रभारी हूं
अधिकारी पहली बार में जानकारी नहीं देते जिससे आवेदक सिद्ध नहीं कर पाता कि
उसे गलत जानकारी दी गई है और अपील अधिकारी ऐसे मामलों में दूसरी सुनते ही
नहीं है यही मामला शासकीय उच्चतर माध्यमिक हाई स्कूल बंडा
मॉडल हाई स्कूल बंडा विगत कई दिनों से अनियमितताएं सामने आ रही हैं प्राचार्य द्वारा किसी भी शिकायत एवं अन्य जानकारी मांगने पर जानकारी नहीं दी जाती जब चक्कर लगाते लगाते कई दिन बीत गए और जानकारी प्राप्त ना हुई तब शमीम खान द्वारा सूचना के अधिकार के अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगी गई फिर भी प्राचार्य द्वारा सूचना के अधिकार में कई कमियां बताएंगे 2 माह पहले जानकारी मांगी गई थी फिर भी जानकारी देने से स्पष्ट मना कर दिया गया कहां गया कि आपके दस्ता भी पूरी नहीं है शासकीय कन्या हाई स्कूल बंडा सब सूचना का अधिकार के तहत जानकारी एवं अन्य शिकायतों का विवरण मांगा गया तब प्राचार्य द्वारा बताया गया कि आपकी दस्तावेज पूरी नहीं है और मैं इस प्राचार्य नहीं हूं अभी मेरे पास प्रभा नहीं है प्राचार्य द्वारा गरीब एवं मजदूर व्यक्तियों को गलत जानकारी जा रहा है एवं अंधेरे में ढकेला जा रहा है अधिकारियों द्वारा जब विभागों कि ऐसे दस्तावेज बाहर आ रहे हैं जिसमें अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की गई है दस्तावेज की आधार पर अधिकारी लोकायुक्त की जांच की गिराओ में आ रहे हैं इस परेशानी से बचने के अफसरों ने नए रास्ते तलाश लिए हैं वह इन मामलों को उलझा देती हैं जिसमें कार्यवाही की संभावना हो मालूम हो कि आरटीआई कानून के तहत व्यक्तिगत दस्तावेजों को तीसरे पक्ष से संबंधित माना जाता है ऐसे दस्तावेज मांगे जाने पर संबंधित विभाग को पहले उस व्यक्ति को बताना होता है जिसका दस्तावेज दिया जाना है
मॉडल हाई स्कूल बंडा विगत कई दिनों से अनियमितताएं सामने आ रही हैं प्राचार्य द्वारा किसी भी शिकायत एवं अन्य जानकारी मांगने पर जानकारी नहीं दी जाती जब चक्कर लगाते लगाते कई दिन बीत गए और जानकारी प्राप्त ना हुई तब शमीम खान द्वारा सूचना के अधिकार के अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगी गई फिर भी प्राचार्य द्वारा सूचना के अधिकार में कई कमियां बताएंगे 2 माह पहले जानकारी मांगी गई थी फिर भी जानकारी देने से स्पष्ट मना कर दिया गया कहां गया कि आपके दस्ता भी पूरी नहीं है शासकीय कन्या हाई स्कूल बंडा सब सूचना का अधिकार के तहत जानकारी एवं अन्य शिकायतों का विवरण मांगा गया तब प्राचार्य द्वारा बताया गया कि आपकी दस्तावेज पूरी नहीं है और मैं इस प्राचार्य नहीं हूं अभी मेरे पास प्रभा नहीं है प्राचार्य द्वारा गरीब एवं मजदूर व्यक्तियों को गलत जानकारी जा रहा है एवं अंधेरे में ढकेला जा रहा है अधिकारियों द्वारा जब विभागों कि ऐसे दस्तावेज बाहर आ रहे हैं जिसमें अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी की गई है दस्तावेज की आधार पर अधिकारी लोकायुक्त की जांच की गिराओ में आ रहे हैं इस परेशानी से बचने के अफसरों ने नए रास्ते तलाश लिए हैं वह इन मामलों को उलझा देती हैं जिसमें कार्यवाही की संभावना हो मालूम हो कि आरटीआई कानून के तहत व्यक्तिगत दस्तावेजों को तीसरे पक्ष से संबंधित माना जाता है ऐसे दस्तावेज मांगे जाने पर संबंधित विभाग को पहले उस व्यक्ति को बताना होता है जिसका दस्तावेज दिया जाना है
No comments:
Write comments