Thursday, 18 May 2017

स्मार्ट फोन घोटाला: जीरो टर्न ओवर, घटिया स्मार्ट फोन

स्मार्ट फोन घोटाला: जीरो टर्न ओवर, घटिया स्मार्ट फोन
 प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता श्री रवि सक्सेना ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा विद्यार्थियों को वितरित किये गये स्मार्ट फोन की आड़ में किये गये करोड़ों रूपयों के घोटाले का पर्दाफाश करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा अनुरूप प्रदेश के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को स्मार्ट फोने देने की योजना प्रदेश में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई, पूरे प्रदेश में विद्यार्थियों को एक ऐसी कंपनी ‘कार्वी डाटा मेनेजमेंट सर्विस लिमिटेड’ ने फोर स्टार अमोस्टा 3 जी-5, मॉडल के घटिया स्मार्ट फोन प्रदाय कर दिये जिनके आपरेटिंग सिस्टम पर नये वर्जन के एप्स चल ही नहीं पाते हैं। ऐसी निम्न गुणवत्ता के फोन देकर सरकार ने पूरे प्रदेश के लाखांे विद्यार्थियों को एक ओर जहां ठगा है, वहीं इन स्मार्ट फोन के माध्यम से भारी भ्रष्टाचार कर प्रदेश के युवाओं के साथ फिर से धोखा किया है। श्री सक्सेना ने बताया है कि प्रदेश के विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन प्रदान करने की मुख्यमंत्री की घोषणा को मूर्तरूप देने के लिए मप्र स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवपलपमेंट कॉर्पोरेशन ने 3 लाख 75 हजार स्मार्ट फोन खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था, जिसमें ‘कार्वी डाटा मेनेजमेंट सर्विस लिमिटेड’कंपनी, जिसका टर्नओवर जीरो था, को सभी नामी कंपनियों के ऊपर वरीयता देकर स्मार्ट फोन प्रदान करने के आदेश सरकार के दबाव में दे दिये गये, जबकि टेंडर की शर्तों के अनुसार स्मार्ट फोन प्रदान करने वाली कंपनी को ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर होना बताया गया था, परन्तु ऐसी कंपनी के पास बीआईएस सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से होना चाहिए था, किन्तु इस कंपनी के पास इस तरह का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं था। ‘‘कार्वी’’ कंपनी ने यह आदेश मिलने के तत्काल बाद फोर स्टार टेक्नो साल्युशन्स प्राईवेट लिमिटेड को यह आदेश स्थानांतरित कर दिया, जबकि ऐसा करने का उसे कोई अधिकार नहीं था। यह अत्यंत गंभीर अनियमितता की गई, वहीं यह भी उल्लेखनीय है कि फोर स्टार टेक्नो साल्युशन्स कंपनी दिसम्बर-2014 को पंजीकृत हुई थी और इस कंपनी का 2014-15 एवं 2015-16 का टर्न ओवर ‘जीरो’ था तथा कंपनी ने यह आदेश मिलने के बाद भी अक्टूबर 2016 में विपणन प्रारंभ किया। ये कंपनी पूरी तरह से असेम्बलिंग यूनिट है तथा इसके पास स्मार्ट फोन निर्मित करने का कोई लायसेंस भी नहीं है। इससे सिद्ध होता है कि अपनी चहेती कंपनी को प्रदाय आदेश दिलवाने के लिए टेंडर की सभी शर्तों को ताक पर रख दिया गया जो भारी घोटाले को इंगित करती है। श्री रवि सक्सेना ने सवाल उठाते हुए कहा कि इन तथ्यों की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों से करानी चाहिए कि जब इस कंपनी के पास बीआईएस सर्टिफिकेट नहीं था तो फिर इसे टेंडर क्यांे और किसलिए दिया गया? मप्र स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवपलपमेंट कॉर्पोरेशन के अधिकारियांे को टेंडर की शर्तों को शिथिल करने तथा विद्यार्थियों के साथ धोखाधड़ी करने के कृत्य पर सख्त से सख्त सजा दी जाये।

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