"मेक इन इंडिया" के नाम पर मध्यप्रदेश में हो रहा फर्जीवाड़ा


विचार मध्यप्रदेश के
कोर कमिटी सदस्य अक्षय हुंका ने प्रेस रिलीज़ जारी कर जानकारी दी कि मई 2016
में मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन (MPSEDC) ने
3.75 लाख फ़ोन के लिए टेंडर निकाला था। यह टेंडर कार्वी डाटा मैनेजमेंट
सर्विस लिमिटेड (कार्वी) ने फोरस्टार अमोस्टा 3G5 मॉडल के फ़ोन के लिए जीता
था। कार्वी ने फोरस्टार इंडस्ट्री लिमिटेड, चीन (FILC) को ओरिजनल
इक्विपमेंट मैनुफक्चरर (OEM) बताया था। टेंडर शर्तों में स्पष्ट था कि ओईएम
के पास स्मार्टफोन के उस मॉडल के लिए BIS सर्टिफिकेट होना चाहिए। हालांकि
ओईएम के पास ऐसा कोई सर्टिफिकेट नहीं था। प्रोजेक्ट जीतने के तुरंत बाद
कार्वी ने यह प्रोजेक्ट भारत में रजिस्टर्ड फ़ोरस्टार टेक्नो सोलूशन्स
प्राइवेट लिमिटेड (FTSPL) को सबकॉन्ट्रेक्ट कर दिया। टेंडर शर्तों के
अनुसार प्रोजेक्ट को सबकॉन्ट्रेक्ट करने के पहले MPSEDC से लिखित में
परमिशन लेना ज़रूरी था।
FTSPL 17 दिसम्बर 2014 को रजिस्टर हुई थी।
कंपनी की वेबसाइट भी अगस्त 2015 में बनायी गयी थी। कंपनी का 2014-15 एवं
2015-16 का टर्नओवर शून्य था। इस कंपनी ने कमर्शियल ऑपरेशन इस प्रोजेक्ट के
मिलने के बाद अक्टूबर 2016 में शुरू किया था।
FTSPL फोन के कवर पर
मेक इन इंडिया का लोगो का प्रयोग कर रही है, जबकि FTSPL का मेक इन इंडिया
प्रोजेक्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है। साथ ही कवर पर "मेड इन इंडिया" लिखा है
जबकि FTSPL के ग्वालियर ऑफिस में केवल असेम्बलिंग की जाती है मैनुफैक्टरिंग
नहीं। साथ ही साथ फ़ोन की क्वालिटी भी बेहद खराब है और कंपनी की वेबसाइट का
कांटेक्ट फॉर्म और दिए गए हेल्पलाइन नंबर भी नहीं चल रहे हैं।
पूरी प्रक्रिया में कई सवाल खड़े होते हैं:
(1) ओईएम के पास BIS सर्टिफिकेट नहीं होने के बावजूद कार्वी को टेंडर कैसे अवार्ड किया गया?
(2) क्या कार्वी ने काम सबकॉन्ट्रेक्ट करने के पहले MPSEDC से लिखित
परमिशन ली थी? यदि हाँ तो MPSEDC ने आपत्ति क्यों नहीं उठायी कि:
(a) कंपनी को स्मार्टफोन बनाने का कोई अनुभव नहीं है।
(b) कंपनी का टर्नओवर शून्य है।
(b) कंपनी का टर्नओवर शून्य है।
(3) यदि परमिशन नहीं ली गयी थी तो MPSEDC ने अभी तक इसके खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?
(4) मेक इन इंडिया के लोगो के दुरूपयोग के खिलाफ कोई शिकायत क्यों नहीं की गयी?
(5) सिर्फ घोषणा पूरी करने के नाम पर विधार्थियों को पुराने कॉन्फिग्रेशन
के फ़ोन क्यों दिए गए जिन पर नयी ऍप्लिकेशन्स चलना संभव नहीं है ?
स्पष्ट तौर पर हर स्तर पर चीजें जानबूझकर नजरअंदाज की गयीं और इतने बड़े
घोटाले को अंजाम दिया गया। बिना बड़े नेताओं और आला अफसरों की मिलीभगत के
इतनी बड़ी गड़बड़ संभव नहीं है। विचार मध्यप्रदेश मांग करता है कि
(1) इसकी उच्च स्तरीय समिति द्वारा जांच की जाए और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
(2) कार्वी डाटा मैनेजमेंट सर्विस लिमिटेड को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
(3) विद्यार्थियों को स्मार्टफोन के स्थान पर उसकी कीमत के बराबर राशि उनके अकाउंट में दी जाएँ।
No comments:
Write comments