Saturday, 16 July 2016

विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा स्व. श्री कुंद्रा जी की श्रद्धांजलि सभा आयोजित

विश्व संवाद केंद्र भोपाल द्वारा स्व. श्री कुंद्रा जी की श्रद्धांजलि सभा आयोजित

आज शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक व वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश कुंद्रा जी को विश्व संवाद केंद्र, शिवाजी नगर, भोपाल पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धांजलि दी गई ! इस श्रद्धांजली सभा में वरिष्ठ पत्रकार, समाज सेवी, संघ के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता, बुद्धिजीवी, लेखक, चिंतकों ने अपने संस्मरणों के साथ कुन्द्रा जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की ।सभा में मुख्य रूप से माननीय कैलाश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष महेश श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय एकता समिति के उपाध्यक्ष रमेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार विजय दत्त श्रीधर, कैलाश गौर, शब्बीर कादरी, बालमुकुन्द भारती, रामभुवन सिंह कुशवाह, आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख नरेंद्र जैन, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अशोक वार्ष्णेय, भारतीय मजदूर संघ के अरविन्द मोघे, वनवासी कल्याण आश्रम के ओमप्रकाश अग्गी जी आदि उपस्थित रहे सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश पंत ने की । संघ के विभाग संघचालक एवं मध्य भारत प्रान्त के व्यवस्था प्रमुख अनिल तामडू भी मंचासीन थे ! सभा का संचालन अनिल सोमित्र जी ने किया ।रामभुवन सिंह कुशवाह ने कहा कि मेरा कुंद्रा जी से पिछले १५ सालों से रिश्ता रहा, वो मेरे लिए हमेशा पालक की तरह रहे, हर जगह एक बड़े भाई की तरह मेरा साथ दिया, संघ के प्रति अटूट श्रद्धा और समर्पण रहा, विवेकानद केंद्र में साथ में काम किया, मेरी और से उनको शतशत नमन ।लाजपत आहूजा ने कहा कि जब मुझे सुचना मिली तो में स्तब्ध रह गया, श्री कुंद्रा जी ने एक सैनिक के रूप में अपनी यात्रा प्रारंभ की, जिन्दगी की चुनोतियों को पार करते करते अंतिम सांस तक एक वीर योद्धा की तरह लड़ते रहे, उनका मस्तिष्क हमेशा जाग्रत रहा, और कई योजनाओं को अंजाम दिया, मुझे श्रीमद भगवद गीता की एक प्रति सौंप गए, वो एक कर्मयोगी थे ।शब्बीर कादरी ने कहा कि में रोज उनसे मिलता था, वो अद्वितीय इन्सान थे, में जो कुछ भी हूँ, उसमें उनका बहुत योगदान रहा, एक लेखक के रूप में मुझे हमेशा उन्होंने बहुत सिखाया, उनकी हिंदी तो कमाल की थी, उनकी नजर से जो पत्र निकल जाये, तो समझो उसमे कोई भी अशुद्धि हो ही नहीं सकती, आज में बहुत दुखी हूँ, में बेसहारा हो गया, ये वो शून्य है, जो कभी भरा नहीं जा सकता, उनको मेरी सच्ची श्रद्धांजलि ।

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