जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकारियों ने लूटे सेना के हथियार,होटल में कैद रहे उत्तर प्रदेश के छह विधायक
हिजबुल कमांडर एवं आतंकी बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में हिंसक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इसी बीच वानी की मौत का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सेना के हथियार लूट लिए हैं।कुलगाम के दमहल हांजी पोरा पुलिस स्टेशन से एक विद्रोही 70 हथियारों को लेकर भाग गया। लूटे गए कुल 70 हथियारों में कुछ ऑटोमेटिक थे तो कुछ सेमी ऑटोमेटिक। इसके अलावा सेना से हथियार छीनने के भी दो अलग-अलग मामले सामने आए है। त्राल में एक समूह ने 4 सिपाहियों पर हमला बोल कर उनसे हथियार छीनने की कोशिश की। देर शाम करलपुरा पुलिस स्टेशन पर हमला किया गया। सुरक्षाकर्मियों के साथ भिड़त में मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों एवं पुलवामा जिले सहित घाटी के 10 जिलों में कर्फ्यू हटाया नहीं गया है। विरोध-प्रदर्शन में अब तक लगभग 800 लोग घायल हो चुके हैं जिनमें 100 पुलिसकर्मी हैं।वहीं बुधवार को 86वें कश्मीर शहीद दिवस के मौके पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी के सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। 1931 के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंची महबूबा मुफ्ती ने कहा कि,“ हमें याद रखना चाहिए कि 1931 में कई जवानों ने हमारे लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। जिस विरासत के लिए के लिए उन्होंने अपनी जान गवाईं हमें उसकी रक्षा करन चाहिए और हमें शांति बनाए रखना चाहिए। लोगों से घाटी में शांति बनाए रखने की अपील करते मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा कि यहां कुछ तत्व ऐसे हैं जो शांति का माहौल भंग करना चाहते हैं और तनाव की स्थिति बरकार रखना चाहते हैं लेकिन हमें ऐसे लोगों के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए और शांति बनाए रखना चाहिए।ब्रितानी हुकूमत में 13 जुलाई 1931 को श्रीनगर सेंट्रल जेल के सामने हुई गोलीबारी में बहुत से लोग मारे गए थे। इसलिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी 1931 के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। पत्रकारों से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने घाटी में तनाव की स्थिति को नियंत्रित न कर पाने के लिए पीडीपी-भाजपा की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि या तो यह सरकार हिजबुल कमांडर बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी के मारे जाने के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति का आकलन करने में नाकाम रही या फिर अपने आकलन को सही प्रकार से लागू करने में विफल रही।घाटी में शुरु हुए तनाव व हिंसा के बीच उत्तर प्रदेश के छह विधायकों को वहां के एक होटल में नजरबंद कर दिया गया। तीन दिन तक इन विधायकों को होटल की खिड़की से बाहर झांकने तक की इजाजत नहीं थी।कश्मीर में हिंसा के बीच जिस होटल में विधायकों को नजरबंद किया गया था उसी होटल के बाहर उग्रवादी आतंकियों की लाश रखकर प्रदर्शन कर रहे थे। घाटी जाने वाली विधायकों की टीम में शामिल उत्तर प्रदेश स्थित भोजीपुरा के विधायक शहजिल इस्लाम ने राजधानी दिल्ली पहुंचकर आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि कश्मीर की लेखा समिति का अध्ययन करने के लिए यूपी की स्थानीय निधि लेखा परीक्षा समिति घाटी गई थी। समिति में उनके साथ फरीदपुर विधायक सियाराम सागर, कानपुर के किदबई नगर सीट से विधायक अजय कपूर, महोबा के विधायक राज नारायण बुधौलिया, खीरी के बाला प्रसाद अवस्थी, शहाजहांपुर की कटरा से विधायक राजेश यादव शामिल थे। उन्होंने बताया कि जिस दिन वह सभी कश्मीर पहुंचे वहां काफी बवाल हो रहा था।
हिजबुल कमांडर एवं आतंकी बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में हिंसक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इसी बीच वानी की मौत का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस और सेना के हथियार लूट लिए हैं।कुलगाम के दमहल हांजी पोरा पुलिस स्टेशन से एक विद्रोही 70 हथियारों को लेकर भाग गया। लूटे गए कुल 70 हथियारों में कुछ ऑटोमेटिक थे तो कुछ सेमी ऑटोमेटिक। इसके अलावा सेना से हथियार छीनने के भी दो अलग-अलग मामले सामने आए है। त्राल में एक समूह ने 4 सिपाहियों पर हमला बोल कर उनसे हथियार छीनने की कोशिश की। देर शाम करलपुरा पुलिस स्टेशन पर हमला किया गया। सुरक्षाकर्मियों के साथ भिड़त में मरने वालों की संख्या 30 हो गई है। श्रीनगर शहर के कुछ हिस्सों एवं पुलवामा जिले सहित घाटी के 10 जिलों में कर्फ्यू हटाया नहीं गया है। विरोध-प्रदर्शन में अब तक लगभग 800 लोग घायल हो चुके हैं जिनमें 100 पुलिसकर्मी हैं।वहीं बुधवार को 86वें कश्मीर शहीद दिवस के मौके पर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने घाटी के सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। 1931 के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंची महबूबा मुफ्ती ने कहा कि,“ हमें याद रखना चाहिए कि 1931 में कई जवानों ने हमारे लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। जिस विरासत के लिए के लिए उन्होंने अपनी जान गवाईं हमें उसकी रक्षा करन चाहिए और हमें शांति बनाए रखना चाहिए। लोगों से घाटी में शांति बनाए रखने की अपील करते मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा कि यहां कुछ तत्व ऐसे हैं जो शांति का माहौल भंग करना चाहते हैं और तनाव की स्थिति बरकार रखना चाहते हैं लेकिन हमें ऐसे लोगों के सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए और शांति बनाए रखना चाहिए।ब्रितानी हुकूमत में 13 जुलाई 1931 को श्रीनगर सेंट्रल जेल के सामने हुई गोलीबारी में बहुत से लोग मारे गए थे। इसलिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी 1931 के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। पत्रकारों से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने घाटी में तनाव की स्थिति को नियंत्रित न कर पाने के लिए पीडीपी-भाजपा की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि या तो यह सरकार हिजबुल कमांडर बुरहान मुज़फ़्फ़र वानी के मारे जाने के बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति का आकलन करने में नाकाम रही या फिर अपने आकलन को सही प्रकार से लागू करने में विफल रही।घाटी में शुरु हुए तनाव व हिंसा के बीच उत्तर प्रदेश के छह विधायकों को वहां के एक होटल में नजरबंद कर दिया गया। तीन दिन तक इन विधायकों को होटल की खिड़की से बाहर झांकने तक की इजाजत नहीं थी।कश्मीर में हिंसा के बीच जिस होटल में विधायकों को नजरबंद किया गया था उसी होटल के बाहर उग्रवादी आतंकियों की लाश रखकर प्रदर्शन कर रहे थे। घाटी जाने वाली विधायकों की टीम में शामिल उत्तर प्रदेश स्थित भोजीपुरा के विधायक शहजिल इस्लाम ने राजधानी दिल्ली पहुंचकर आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि कश्मीर की लेखा समिति का अध्ययन करने के लिए यूपी की स्थानीय निधि लेखा परीक्षा समिति घाटी गई थी। समिति में उनके साथ फरीदपुर विधायक सियाराम सागर, कानपुर के किदबई नगर सीट से विधायक अजय कपूर, महोबा के विधायक राज नारायण बुधौलिया, खीरी के बाला प्रसाद अवस्थी, शहाजहांपुर की कटरा से विधायक राजेश यादव शामिल थे। उन्होंने बताया कि जिस दिन वह सभी कश्मीर पहुंचे वहां काफी बवाल हो रहा था।

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