Thursday, 19 July 2018

30 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती एमपी में इसी साल होगी

30 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती एमपी में इसी साल होगी

चुनावी साल में शिवराज सरकार एक बार फिर शिक्षकों को बड़ा तोहफा देने जा रही है।  सरकार इसी साल 30 हजार से ज्यादा नियमित शिक्षकों के पद पर भर्ती करने जा रही है।भर्ती की प्रक्रिया 15 अगस्त तक शुरू हो जाएगी। यह बात खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मंत्रालय में संबल योजना की समीक्षा करते हुए कही।उन्होंने इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए है। मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों से शिक्षा विभाग में नियमित शिक्षकों की भर्ती करने की प्रक्रिया  तत्काल शुरू करने को कहा। बैठक में मुख्य सचिव बी.पी. सिंह और संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव उपस्थित थे।
बता दें कि 2019 भी चुनावी साल है। लोकसभा चुनाव के आलवा कई अन्य चुनाव भी इसी साल में होने हैं। नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में 70 हजार शिक्षकों की कमी है। खाली पदों पर संविदा शिक्षकों की भर्ती की कवायद वर्ष 2013 से चल रही है।सरकार को चुनाव में इसका फायदा मिलने की उम्मीद है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जन-कल्याण (संबल) योजना के हितग्राहियों के विद्यार्थी बच्चों को स्कूल और कॉलेजों में किसी भी प्रकार का शिक्षण शुल्क नहीं लगेगा। यदि ऐसे बच्चों ने फीस भर दी है, तो उन्हें तत्काल फीस के पैसे लौटा दिये जायेंगे।उन्होंने कहा कि स्कूल, कॉलेजों के लिए स्पष्ट आदेश जारी करें ताकि किसी भी स्तर पर भ्रम की स्थिति नहीं रहे।वही उन्होंने सम्बल योजना गरीबों का सहारा बन गयी है। उन्होंने हितग्राहियों क़े पंजीयन, तकनीकी बाधाओं को दूर करने और हितलाभ का भुगतान अविलंब करने के निर्देश दिये। उन्होंने संबल सहायकों का प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए जिससे हितग्राहियों को किसी भी स्तर पर भटकना  नहीं पड़े और उन्हें आसानी से मार्गदर्शन मिले।
मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती का 10 लाख उम्मीदवार इंतजार कर रहे हैं। इनमें बीएड के अलावा डीएलएड डिग्री वाले भी हैं। मध्यप्रदेश के 80 हजार अतिथि शिक्षक इस भर्ती में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। सीएम शिवराज सिंह ने 2013 के चुनाव में वादा किया था कि हर साल संविदा शिक्षक भर्ती नियमित रूप से की जाएगी परंतु तब से लेकर अब तक एक भी बार भर्ती परीक्षा नहीं की गई, जिसको लेकर शिक्षकों में सरकार के प्रति रोष व्याप्त हो गया था।

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