नौकरशाह
सब नेताओं को खुश करने में लगे हैं- आईएएस दीपाली रस्तोगी
राज्य
सरकार की सीनियर आईएएस दीपाली रस्तोगी ने नौकरशाहों की कार्यशैली पर सवाल उठाएं
हैं। उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखा है। दीपाली लिखती हैं,
"अच्छा
आईएएस अधिकारी वही माना जाता है, जो नेता की इच्छा के अनुरूप काम करे।"
उन्होंने लेख में कहा कि हम लोक सेवक हैं, लेकिन हमें लोक सेवा या देश सेवा से कोई लेना
देना नहीं है। केवल लग्जरी जीवन जीते हैं और बच्चों को विदेशों में पढ़ाते हैं।
- आदिम
कल्याण विभाग की आयुक्त दीपाली रस्तोगी अपने बेबाक विचारों के लिए जानी जाती हैं।
उन्होंने पिछले साल एक लेख में मोदी के शौचमुक्त भारत (ओडीएफ) पर कटाक्ष करते हुए
अंग्रेजों की नकल बताया था। इस पर काफी हंगामा हुआ था।
राजनीतिक
आकाओं की इच्छानुसार चलते हैं
- दीपाली
लिखती हैं, "राजनीतिक
आका के बोलने से पहले ही अफसर उसकी इच्छा जान ले, उसके अमल के लिये तैयार हो जाए। आदिम
कल्याण विभाग की कमिश्नर दीपाली रस्तोगी ने लेख में कहा कि नेताओं के डर से ऐसे
अधिकारी मुंह नहीं खोलते। समाज सेवा करने के लिए बने आईएएस सेवा का व्यवहार ही
नहीं करते।"
देश
से कोई लगाव नहीं, लक्जरी
लाइफ जीने के आदी
- दीपाली
ने लिखा, "हम
लोग लोक सेवक हैं, लोक
सेवा नहीं करते, देश
से कोई लगाव भी नहीं। हमारे बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं और लग्जरी जीवन जी रहे
हैं। अगर देश में न्याय सही मिलता तो हमारी कौम बहुत ही पहले खत्म हो जाती या
दुर्लभ हो गई होती।"
इसलिए
होता है हमारा सम्मान
- लोग
हमारा सम्मान सिर्फ इसलिए करते हैं, क्योंकि हमारे पास नुकसान और फायदा पहुंचाने की
ताकत होती है। हम लोगों की कोई दूरदृष्टि नहीं, नेताओं को खुश करने वाले निर्णय लेते
हैं। व्यवस्था सुधारने के लिए दरअसल हम काम ही नहीं करते और यह डर रहता है कि
व्यवस्था बेहतर कर दी तो कोई पूछेगा ही नहीं।
नेताओं
को खुश करने में जुटे रहते हैं
- लेटरल
एंट्री के सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि नेताओं को खुश करने उनके हिसाब से काम
करने, झूठ
और सच को सही और गलत में अंतर खत्म करने से मूल विचार खत्म हो गए हैं। दीपाली 1994 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उनके पति
मनीष रस्तोगी भी राज्य सरकार में सीनियर आईएएस हैं। कुछ दिन पहले ही ई-टेंडरिंग
टेंपरिंग घोटाले को उजागर करने को लेकर मनीष रस्तोगी चर्चाओं में है।
मंत्री
ने कहा, अधिकारी
की सोच गलत
- प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर सवाल उठा चुकी आईएएस दीपाली रस्तोगी ने अब
अपने ही अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। आईएएस के विचारों से असहमति
जताते हुए मंत्री लाल सिंह आर्य ने उनकी इस सोच को गलत बताया है। पत्रकारों से
बातचीत में मंत्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि मैं नहीं मानता कि अफसर नेताओं के
इशारों पर काम करते हैं। सरकार द्वारा जनहित के किसी भी काम को कभी रोका नहीं गया।
अगर IAS होते
हुए वो इस तरह से सोचती हैं तो ये सोच उचित नहीं है।
जनता
के हित में अगर नुकसान उठाना पड़े तो उठाएं
- मुख्य
सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि अधिकारी जो भी निर्णय लेते हैं, वह जनता के हित में होते हैं। अगर कहीं
ऐसा लगे कि नेताओं का दबाव है तो भी उन्हें जनता के हित में ही फैसले लेने चाहिए।
इसके लिए अगर उन्हें नुकसान भी उठाना पड़े तो वह उठाएं।
पीएम
की ओडीएफ प्रणाली पर उठा चुकी हैं सवाल
-- मध्य
प्रदेश कैडर की महिला आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
के ड्रीम प्रोजेक्ट खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भारत अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता
से ग्रस्त बताया था। अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में लिखा था, 'गोरों के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने खुले में शौचमुक्त अभियान चलाया, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है'। उनके इस बयान के बाद काफी हलचल मची
थी। इसके बाद सरकार ने नोटिस जारी कर उनसे जबाव मांगा था।
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