Sunday, 22 July 2018

अर्चना का 'पोषण आहार' राज्यपाल के निशाने पर

अर्चना का 'पोषण आहार' राज्यपाल के निशाने पर

मप्र की राज्यपाल बनने के बाद से ही आनंदीबेन पटेल कुपोषण पर सवाल उठाकर महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अर्चना चिटनीस पर निशाना साधती रही हैं। वे छह महीने के भीतर प्रदेश भर का भ्रमण कर चुकी हैं, इस दौरान उनका फोकस आंगनबाडिय़ां एवं कुपोषण पर रहा। वे जिस जिले के दौरे पर गई, वहां आंगनबाड़ी पहुंचकर पोषण आहार की स्थिति का जायजा जरूर लिया। खास बात यह है कि उन्होंने कुपोषण की विकरात स्थिति पर खुलकर प्रतिक्रिया दी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मप्र में हर विभाग में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। शिक्षा, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, रोजगार, स्वास्थ्य की स्थिति बदहाल है। लेकिन राज्यपाल का फोकस सिर्फ कुपोषण पर रहा है।
आनंदीबेन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के माध्यम से टीवी पीडि़त बच्चों को गोद लेने की परंपरा भी शुरू करा दी है। राज्यपाल इसको लेकर खुलकर कह चुकी हैं कि कुपोषण की वजह से बच्चों में बीमारियां होती हैं। महिलाओं की स्थिति खराब रहती है। वे अभी तक सभी संभाग एवं 30 से ज्यादा जिलों का दौरा कर चुकी हैं। वे जिस शहर में जाती हैं, वहां किसी न किसी आंगनबाड़ी पहुंचकर महिलाओं से पोषण आहार, स्वच्छता पर खुलकर बात करती हैं। पोषण आहार वितरण को लेकर वे सीधे हितग्राहियों से फीडबैक लेती आई हैं। खराब परफार्मेंस के चलते वे पोषण आहार वितरण से लेकर सप्लाई व्यवस्था पर सवाल उठा चुकी हैं।
कुपोषण को लेकर बदनाम है मप्र
महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री अर्चना चिटनीस द्वारा मप्र विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में 12 लाख से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषण की श्रेणी में है। इनमें से हर साल हजारों बच्चों की कुपोषण से मौत होती है। प्रदेश के 16 जिले कुपोषण प्रभावित हैं। पोषण आहार  पर हर साल 1200 करोड़ रुपए का भारी-भरकम बजट खर्च होता है। हर साल बजट बढ़ता भी है, लेकिन कुपोषण कम नहीं होता है। पोषण आहार में भ्रष्टाचार के मामले भी कई सामने आ चुके है। पोषण आहार सप्लाई व्यवस्था बदलने के बाद भी न तो आंगनबाड्यिों पर तय मैन्यू के अनुसार पोषण आहार मिल रहा है और न हीं कुपोषण कम हो रहा है।

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