भाजपा
हाईकमान महबूबा सरकार के कश्मीर केंद्रित रवैये से नाराज था
भाजपा
और पीडीपी की गाड़ी जम्मू-कश्मीर में पिछले लगभग तीन सालों से चल तो रही थी, लेकिन केंद्र महबूबा मुफ्ती सरकार से खुश नहीं
थी। तेज विकास व पारदर्शी प्रशासन के लक्ष्य के साथ पीडीपी से गठजोड़ करने वाला
भाजपा हाईकमान महबूबा सरकार के कश्मीर केंद्रित रवैये से नाराज चल रहा था। ऐसे
हालात में कड़े तेवर दिखाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं व मंत्रियों को अचानक दिल्ली तलब किया। वहीं राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मंगलवार सुबह अमित शाह के घर जाकर उनसे मुलाकात
की थी। इसके तुरंत बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन के
टूटने का एलान कर दिया।
अब
जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी की गठबंधन वाली सरकार गिर चुकी है। मंगलवार को
दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा बुलाई गई महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह
फैसला लिया गया है। भाजपा नेता राम माधव ने अन्य नेताओं के साथ एक प्रेस
कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी पुष्टि कर दी है। भाजपा ने राज्यपाल को भी समर्थन वापसी
की चिट्ठी सौंप दी है।
कश्मीर
में भाजपा-पीडीपी का गठबंधन टूटा
राम
माधव ने प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान बताया कि जम्मू-कश्मीर में अब पीडीपी के साथ
मिलकर सरकार चलाना संभव नहीं है। एक विशेष बैठक के दौरान ये फैसला लिया गया कि
पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया जाए। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन को लेकर आगे चलना संभव
नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जनता के जनादेश को ध्यान में रखकर हमने जम्मू-कश्मीर
में पीडीपी के साथ सरकार चलाने का निर्णय लिया था, लेकिन
अब जम्मू-कश्मीर में फ्रीडम ऑफ स्पीच खतरे में है।
भाजपा
के महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने कहा, 'हम खंडित जनादेश में साथ आए थे। लेकिन मौजूदा
समय के आकलन के बाद इस सरकार को चलाना मुश्किल हो गया था। महबूबा मुफ्ती हालात
संभालने में नाकाम साबित हुईं। हम एक एजेंडे के तहत सरकार बनाई थी। केंद्र सरकार
ने जम्मू-कश्मीर सरकार की हर संभव मदद की।
उन्होंने
आगे कहा कि घाटी में आतंकवाद, रेडिकलिज्म बढ़ा है और आम लोगों के
अधिकारो पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। शुजात बुखारी की हत्या इसका उदाहरण है।
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। देश की सुरक्षा और अखंडता को ध्यान में
रखते हुए, राज्य में पैदा हालात पर नियंत्रण पाने
के लिए राज्य की सत्ता राज्यपाल के हाथ में देना उचित रहेगा। अगर राज्य में
राज्यपाल शासन जारी रहता है तो भी केंद्र सरकार के आतंक के खिलाफ ऑपरेशन जारी
रहेंगे।
No comments:
Write comments