Sunday, 10 June 2018

मध्य प्रदेश में समाधान ही समस्या बन गई शिवराज सिंह चौहान के लिए


मध्य प्रदेश में समाधान ही समस्या बन गई शिवराज सिंह चौहान के लिए

बीते एक साल में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार, खास तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लगातार फजीहत देखकर आपको किसानों की 'बददुआओं' के असर पर भरोसा हो सकता है। बुधवार को जहां से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के अभियान का जोरदार आगाज किया, उसी मंदसौर जिले के छह पाटीदार किसान पिछले साल इसी दिन पुलिस की गोलियों से मरे थे।
तब पूरा पश्चिमी मध्य प्रदेश किसान आंदोलन से उपजी हिंसा की चपेट में था। दस-दिनों तक चलने वाले आंदोलन के दौरान दर्जनों वाहन जलाए गए, सैंकडों मकान-दुकान तबाह हो गए और हजारों टन फल, सब्जियों और दूध सडकों पर फेंके गए। सैंकड़ों किसान गिरफ्तार हुए। दर्जनों पुलिस से झड़प में जख्मी हुए।
किसानों की मांग थी कि उन्हें अपनी खेती की लागत और फसल का वाजिब दाम मिले। वे चाहते थे कि शिवराज सरकार अपनी पार्टी के वायदे के मुताबिक स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट अमल में लाए। रिपोर्ट में किसानों को फसल पर लागत का डेढ़ गुना पैसा बतौर समर्थन मूल्य देने की सिफारिश है। उनकी एक बड़ी मांग कर्ज-माफी भी थी।

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