एमपी
के अध्यापक फिर सड़कों पर उतरे, मांगों को लेकर करेंगे आमरण अनशन
मध्य
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऐलान के बावजूद अध्यापकों को शिक्षा
विभाग में शामिल नहीं कर अलग से कैडर बनाए जाने से नाराज अध्यापक फिर आंदोलित हो
गए हैं. अध्यापकों ने राजधानी के शाहजहांनी पार्क में आंदोलन शुरू कर दिया है.
दरअसल,
शिक्षा विभाग
में संविलियन को लेकर अध्यापकों ने आंदोलन किया था. इसी आंदोलन से डर कर सीएम
शिवराज सिंह चौहान ने अपने बंगले पर सभी संवर्ग के शिक्षकों को बुलाकर 21 जनवरी को एक विभाग एक कैडर के अंतर्गत
शिक्षा विभाग में संविलियन का ऐलान किया था. लेकिन 29 जून को कैबिनेट के फैसले के बाद
अध्यापकों में आक्रोश है.
सरकार
ने अध्यापकों को शिक्षा विभाग में शामिल न कर शिक्षा विभाग के अधीनस्थ राज्य स्कूल
शिक्षा सेवा के अंतर्गत एक नया कैडर बनाकर प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और उच्च माध्यमिक
शिक्षक के पदों पर नवीन नियुक्ति के रूप में किया गया है. इससे एक विभाग में फिर
दो कैडर बन गए हैं. अलग से बने कैडर में शिक्षकों की तरह सुविधाएं दिए जाने का
उल्लेख भी नहीं है.
ये
हैं अध्यापकों की मांग
-अध्यापकों
का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाए
-अध्यापकों
को सहायक शिक्षक, शिक्षक
और व्याख्याता बनाया जाए
-शिक्षकों
की तरह सभी सुविधाएं मिले
-जनवरी
2016 से
सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए
-अध्यापक
और गुरुजी की सेवा की गणना पदोन्नति, क्रमोन्नति, ग्रेज्युटी, पेंशन के लिए प्रावधान किए जाएं
-ट्रायबल
विभाग में कार्यमुक्ति पर लगी रोक हटाई जाए
-जुलाई
2018 के
बाद नई भर्ती होने वाले शिक्षकों के लिए नियुक्ति शब्द का उपयोग किया जाए
-छठवें
वेतन मान की विसंगतियों को दूर किया जाए
-ई-अटेंडेंस
की व्यवस्था बंद की जाए
-केंद्र
की तरह एनपीएस कर्मचारियों को सेवा काल में मृत्यु होने पर न्यूनतम पेंशन की
पात्रता हो
-सेवा
निवृत्ति आयु 62 से
बढ़ाकर 65
वर्ष की जाए
अध्यापकों
ने चेतावनी दी है कि यदि अध्यापकों की मांगों पर सरकार ने विचार नहीं किया,
तो 25 जून से अध्यापक अनिश्चित कालीन आमरण
अनशन शुरू करेंगे. साथ ही अध्यापक संगठनों ने विधानसभा के घेराव की चेतावनी भी दी
है.
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