भारत-नेपाल
के रिश्ते मोदी सरकार के 4 साल
में हिचकोले खाते रहे
मोदी
सरकार के चार साल के कार्यकाल में भारत और नेपाल के रिश्ते हिचकोले खाते रहे हैं.
अब एक बार फिर दोनों देश द्विपक्षीय रिश्ते में व्याप्त विश्वास की कमी को दूर
करने और विश्वास बहाली को लेकर प्रयास करने शुरू कर दिए हैं. इसी के तहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर नेपाल पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री की
इस यात्रा का मकसद दोनों देशों के धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को नए आयाम देने
का है.
इससे
पहले अप्रैल महीने में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए
थे. 15
फरवरी 2015 को
प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद केपी ओली का ये दूसरा भारत दौरा था.
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए नेपाल के विदेशमंत्री ने कहा कि
दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली बहुत जरूरी है. भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक,
सांस्कृतिक और
धार्मिक संबंध हैं. दोनों देश इसी के तहत रामायण सर्किट और अयोध्या-जनकपुर बस सेवा
की शुरुआत कर रहे हैं.
हालांकि
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नेपाल और ओली प्रशासन किसी भी देश के हस्तक्षेप को
रोकने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है. पिछले कुछ सालों से नेपाल कई समस्याओं का सामना कर
रहा है, लेकिन
अब समय आ गया है कि दोनों देश स्वस्थ संबंधों के निर्माण पर जोर दें.
नेपाल
में नई सरकार अपने गठन के बाद से ही भारत के रिश्तों को लेकर सजग है, लेकिन पिछले चार सालों से दोनों देशों
ने रिश्तों के कई रंग देखे हैं.
साल
2017
में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय स्तर पर वार्ता हुई थी. भारतीय सेना प्रमुख
जनरल बिपिन रावत ने और चीन के रक्षा मंत्री जनरल चांग ने सुरक्षा सहयोग मजबूत करने
के लिए नेपाल का दौरा किया था.
पिछले
साल अप्रैल महीने में नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी पहली बार विदेशी
दौरे पर गईं और 2015 में
पद संभालने के नई दिल्ली का दौरा किया. इस दौरे ने दोनों देशों के संबंधों की
महत्ता को दर्शाया.
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