विजय
माल्या को भगोड़ा मानने के लिए पर्याप्त आधार: ब्रिटिश कोर्ट
भारत
में 9 हजार करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग और
घोटाले के आरोपों में वांछित शराब किंग विजय माल्या को ‘न्याय से भागने वाला’ माना जा सकता है। ब्रिटिश हाईकोर्ट के जज
एंड्रयू हेनशॉ ने ये निर्णय दिया। इसके लिए उन्होंने इस तथ्य को अहम माना कि 62 वर्षीय बिजनेसमैन वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप
में भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ लड़ रहा है।
जस्टिस
शॉ ने ही मंगलवार को 13 भारतीय बैंकों के पक्ष में उनकी करीब 10 हजार करोड़ रुपये की रिकवरी के लिए वैश्विक
स्तर पर खाते सीज करने वाला निर्णय दिया था। जज ने अपने निर्णय के एक हिस्से में
कहा, सभी परिस्थितियों में और इस तथ्य को
ध्यान में रखते हुए कि माल्य प्रत्यर्पण के लायक आरोपों के खिलाफ लड़ रहे हैं, माल्या को न्याय से भागने वाला मानने के
पर्याप्त आधार हैं।
हाईकोर्ट
ने माल्या के इस दावे से भी नाइत्तफाकी जाहिर
की कि वह वर्ष 1988 से अनिवासी भारतीय हैं और वर्ष 1992 से इंग्लैंड में रह रहे हैं, जहां उनके पास अनिश्चितकाल तक रहने की इजाजत
है।
अदालत
ने कहा, सबूत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि
मार्च 2016 से पहले माल्या नियमित तौर पर भारत और
इंग्लैंड के बीच में अपने बिजनेस और राजनीतिक कारणों से यात्रा करते रहे हैं। उनके
अधिकतर बिजनेस भी भारत से नजदीकी से जुड़े हैं।
उधर, भारतीय बैंकों की तरफ से इस मुकदमे को लड़ रही
ब्रिटिश लॉ फर्म टीएलटी एलएलपी के पार्टनर पॉल गेर ने इस निर्णय पर कहा, ये निश्चित तौर पर सकारात्मक है। इस निर्णय से
हमारे कस्टमर बैंकों को भारतीय कर्ज रिकवरी ट्रिब्यूनल के निर्णय को लागू करने की
तरफ बढ़ने का अधिकार मिलेगा।
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