मध्यप्रदेश
के आर्गनिक कॉटन की बेहतर मार्केटिंग व्यवस्था जरूरी : बिसेन
किसान-कल्याण
एवं कृषि विकास मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा है कि मध्यप्रदेश आर्गनिक कॉटन
के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। दुनिया के आर्गनिक कॉटन के
कुल उत्पादन का 25
प्रतिशत उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। इसलिये प्रदेश में पैदा होने वाले
आर्गनिक कॉटन की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय-स्तर पर बेहतर मार्केटिंग की
आवश्यकता है। श्री बिसेन आज आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में जैविक कपास
सम्मेलन में यह बात कही।
किसान-कल्याण
मंत्री श्री बिसेन ने कहा कि मेडिकल के क्षेत्र में आर्गनिक कॉटन की माँग बढ़ी है।
प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की उत्कृष्ट कपास उत्पादन के लिये देशभर में विशिष्ट
पहचान है। पिछले तीन-चार वर्षों में निमाड़ क्षेत्र में आर्गनिक कॉटन उत्पादन में
किसानों ने रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में जैविक
उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2011 में जैविक नीति तैयार की है। इसमें किसानों को
अनुदान के साथ-साथ अनेक सुविधाएँ दी जा रही हैं। किसानों की आय दोगुनी करने के
उपायों की चर्चा करते हुए श्री बिसेन ने कृषि क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संगठनों
से राज्य सरकार के साथ मिलकर कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन करने का आग्रह
किया।
प्रमुख
सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग श्री राजेश राजौरा ने सम्मेलन में बताया
कि प्रदेश में पहले वीटी कॉटन आया, लेकिन यह किसानों की लागत को कम करने में
ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ। आर्गनिक कॉटन की चुनौतियों की चर्चा करते हुए श्री
राजौरा ने कहा कि खरगोन, बड़वानी, झाबुआ और निमाड़ के कुछ जिलों में
उत्कृष्ट स्तर का आर्गनिक कॉटन उत्पादित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि
मध्यप्रदेश का जैविक खेती का क्षेत्रफल पिछले 7 वर्षों में 7 गुना बढ़कर करीब 6 लाख हेक्टेयर हो गया है। प्रमुख सचिव
ने बताया कि आर्गनिक कॉटन की बदौलत जैविक उत्पाद निर्यात को 600 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये तक पहुँचाया जा सकता है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि मण्डला में जैविक कृषि संस्थान, जबलपुर में जैविक उत्पाद टेस्टिंग
सेंटर और खण्डवा में आर्गनिक कॉटन शोध संस्थान शुरू किये जा रहे हैं।
सम्मेलन
को प्रतिभा सिंटेक्स के सीईओ श्री श्रेयस्कर चौधरी, सी एण्ड ए फाउण्डेशन की एक्जीक्यूटिव
डायरेक्टर सुश्री लेसली जॉनस्टॉन ने भी संबोधित किया।
तीन
सत्रों में हुई चर्चा
आर्गनिक
कॉटन सम्मेलन में तीन सत्रों में कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने कपास
उत्पादन और उसकी मार्केटिंग के बारे में विचार रखे। संचालक किसान-कल्याण श्री मोहन
लाल ने जैविक खेती के लिये तैयार किये गये क्लस्टर की जानकारी दी। सत्रों में
जैविक कपास के सुदृढ़ीकरण और सहयोगी उद्योग, जैविक कपास उत्पादन से जुड़े किसानों के
जीवन-स्तर में सुधार और सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका विषय पर भी कृषि विशेषज्ञों
ने विचार रखे।
सम्मेलन
का आयोजन किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग और सी एण्ड ए फाउण्डेशन ने मिलकर किया
था। सम्मेलन में प्रगतिशील किसानों का सम्मान किया गया। इन किसानों ने आर्गनिक
कॉटन पैदा करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है।
No comments:
Write comments