भाजपा
के लिए कमलननाथ का किला चुनौती
सतपुड़ा
के खुले पठार पर उपजाऊ भूमि और खनिज संपदा से भरपूर मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले
की राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग ही पहचान है। सात विधानसभा सीटों के साथ करीब साढ़े
तीन लाख की आबादी वाला यह जिला अब भी उपेक्षा का शिकार है। जहां मूलभूत सुविधाओं
के लिए शासन और प्रशासन के रवैये यहां रुके हुए विकास की कहानी बयां करते है। वहीं
तीन कार्यकाल पूरे कर रही भाजपा सरकार के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का यह किला
फतह करना दुरुह है। वजह है जनता में नाराजगी।
दूसरे
प्रदेश जाते हैं इलाज के लिए
स्वास्थ्य
सेवाओं को लेकर यहां लोगों में खासा रोष है। प्रदेश शासन की चिकित्सा व्यवस्थाओं
का आलम यह है कि परिजन मरीज का इलाज सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र के नागपुर शहर में
करवाने को मजबूर हैं। इलाज जिले में ही नहीं होने से आर्थिक बोझ भी परेशानियों में
इजाफा करता है। आलम यह है कि लोगों को अपने शहर के चिकित्सकों व अस्पतालों के नाम
से ज्यादा नागपुर के नाम मालूम हैं। नाम न छापने की शर्त पर जुन्नारदेव की एक आशा
कार्यकर्ता ने बताया कि सरकारी और प्राइवेट चिकित्सक खुद नागपुर के अस्पतालों में
मरीजों को रेफर करते हैं। इसके पीछे मिल रहे लाभ से भी इंकार नहीं किया जा सकता
है।
जारी
है युवाओं का पलायन
जिले
में उच्च शिक्षा की स्थिति अब तक नहीं सुधर पायी है। चाहे वह योजनाओं से भरे भाजपा
के शिवराज सरकार के तीन कार्यकाल हों अथवा पूर्ववर्ती सरकार के। छिंदवाड़ा के रहने
वाले इक्कीस वर्षीय अनित यादव ग्वालियर के एक बड़े इंजीनियरिंग संस्थान में
अध्ययनरत हैं। वे अपने हमउम्र युवाओं के दर्द को समझातें हुए कहते हैं कि यदि उनके
जिले में उच्च शिक्षा की स्तरीय व्यवस्था होती तो वे अपने परिवार पर अनावश्यक
आर्थिक बोझ नहीं पड़ने देते। आबादी का एक बड़ा युवा वर्ग इस पलायन को झेलने के लिए
मजबूर है। रोजगार के अवसर न के बराबर होने पर अनित ने इस पलायन को दीर्घकालिक
बताते हुए अपनी निराशा भी जाहिर की।
विकास
किसकी जिम्मेदारी है?
बीते
चालीस सालों से जुन्नारदेव से तामिया स्टेशन के बीच रेलगाड़ियों में प्रमुख अखबार
और मैग्जीन बेचने के साथ पत्रकारिता में सक्रिय रहने वाले नारायण सूर्यवंशी अपने
जिले में धीमें विकास को लेकर खासे नाराज़ नज़र आए। सूर्यवंशी के अनुसार यहां विकास
की जिम्मेदारी सिर्फ एक आदमी की ही लगती है। वे कहते हैं कि नौ बार लोकसभा सांसद
रहे कमलनाथ को जनता यहां हुए विकास कार्यों का श्रेय देती है। नारायण अपने क्षेत्र
के पिछड़ेपन पर सवाल उठाते हैं कि क्या किसी क्षेत्र का विकास एक ही व्यक्ति की
जिम्मेदारी है? नारायण
ने कई किस्से सुनाए जिनमें सुस्त रफ्तार से हुई हानियां सामने आती हैं। वे
शासन-प्रशासन से लोगों के खत्म होते भरासे और उपजी निराशा को लेकर अपनी चिंता भी
व्यक्त करते हैं।
डिब्बे
वाले मुख्यमंत्री आते हैं
शासन
व प्रशासन के मुखिया इस क्षेत्र से इतने दूर नज़र आते हैं कि लोगों ने उन्हें याद
करने के लिए अपने तरीके इजाद कर लिए हैं। मसलन लोग यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
को चुनाव के वक्त डिब्बे में वोट मांगने आने वाले नेता के रुप में याद करते हैं।
चार फाटक क्रॉसिंग पर रेहड़ी लगाने वाले एक दुकानदार ने बताया कि वो हर पांच साल
में एक बार आते हैं। जिस गाड़ी में वो आते हैं उसमें डिब्बेनमा बक्से से हाथ हिलाकर
चले जाते हैं। वहीं हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद काबिज हुए कमलनाथ के
बारे में पूछने पर वो उत्साह से कहता है कि उन्हें कौन नहीं जानता। वे गलियों से
होते हुए सबसे मिलते हैं। वे नाम से यहां परिवारों को जानते हैं। इसकी झलक यहां
पोस्टर-बैनर में भी दिखाई देती है जिसमें कमलनाथ के चित्र बहुतायत में हैं तो
शिवराज के नदारद।
जागी
है उम्मीद
पूर्व
केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ को प्रदेशाध्यक्ष की कमान
मिलने से हुई प्रदेश राजनीति में सक्रिय वापसी से छिंदवाड़ा के कार्यकर्ताओं व
समर्थकों सहित रहवासियों को असल विकास की उम्मीद जागी है। शासन व प्रशासन स्तर पर
रुके हुए कार्यों के शुरु व पूरे होने की उम्मीद के साथ वे अपनी समस्याओं को लेकर
कमलनाथ के पास पहुंचने लगे हैं। व्यवसायी राकेश जायसवाल ने बताया कि कमलनाथ हर
समस्या को ध्यान से सुनते हैं व निराकरण जरुर करवाते हैं। इसीलिए महाकौशल की
राजनीति के इस किले पर प्रदेश में भाजपा शासन के तीन कार्यकाल के बाद भी पताका
फहराना चुनौतीपूर्ण है।
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