अनुष्का शर्मा की यह ‘परी’ डरावनी
है
इफ्रीत कहीं दिखाई नहीं देती। सिर्फ उसकी आवाज
सुनाई देती है। एक तरह से वो निराकार होता है। लेकिन उसकी शैतानी चाहते होती हैं।
इफ्रीत की यह रूह खुद की अलग सत्ता चाहती है और वह ऐसे बच्चों को संसार में लाती
है जिनके अंदर विष भरा होता है, जो खून पीकर ही अपने अंदर के विष को
खत्म करते हैं।
नॉट ए फेरी टेल है लेकिन इसमे परीकथा जैसा कुछ
नहीं है। यह एक हॉरर फिल्म है यानी डरावनी। और सच में कई जगहों पर डराती है। इसमें
अनुष्का शर्मा की केंद्रीय भूमिका है। पर साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि अनुष्का
इसके दो प्रोड्यूसरों में एक है। दूसरे प्रॉडयूसर अनुष्का के भाई कर्णेश शर्मा
हैं। यानी अनुष्का ने जान-बूझकर एक ऐसी भूमिका का चयन किया है, जिसमें
अभिनेत्री की छवि बदल जाने की पूरी संभावना होती है। बॉलीवुड की ज्यादातर
अभिनेत्रियां रोमांटिक भूमिकाएं निभाना पंसद करती हैं या एक्शन। लेकिन अनुष्का ने
इस धारणा को बदलने की कोशिश की है। इस बात की तो तारीफ करनी होगी कि उन्होंने
जोखिम मोल लिया है। वैसे जोखम उठाना कलाकार का धर्म है। पर कितने कलाकार ऐसा धर्म
निभाते हैं।अनुष्का ने रुखसाना नाम के जिस किरदार को इस फिल्म में निभाया है,
वह
आम बोलचाल में चुड़ैल जैसी है।
परी अपने आखिरी अंश में एक प्रेम कथा भी बन
जाती है। दर्शक के मन में यह सवाल उठ सकता है कि आखिर इस डरावने चरित्र के मन में
प्यार की भावना सहज है? फिर
भी निर्देशक ने जिस तरह रुखसाना के चरित्र को उभारा है वह एक कठिन डगर पर चलने
जैसा है। रुखसाना के लिए दर्शकों के मन में सहानुभूति भी होनी चाहिए और उसे डरावनी
बनाकर भी पेश करना है। अनुष्का दोनों ही काम कर सकी हैं। कई जगहों पर कुछ चीजें
उटपटांग भी लगती हैं। जैसे कि नवजात शिशुओं के शव बरामद होने का क्या मतलब है? लेकिन ह़ॉरर फिल्मों में ‘क्यों’ का कुछ खास मतलब नहीं होता। उसमें बहुत सारी चीजें तार्किक नहीं भी
होतीं। परी के बारे में यह सब कहा जा सकता है। इसमें कई अतार्किकताएं हैं। जैसे
इसका नाम ही परी क्यों है, यह
समझ में नहीं आता।
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