सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता
ने SIT जांच की मांग की
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जज बीएच लोया की
मौत की स्वतंत्र जांच वाली याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के
दौरान महाराष्ट्र सरकार ने जनहित याचिका को 'मोटिवेटेड'
है.
सुनावाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि जब चार जजों ने बयान दे दिए हैं तो या तो
कोर्ट उन पर भरोसा करे या फिर कहे कि वो झूठ बोल रहे हैं.
कई याचिकाएं दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
में जांच कराने की मांग की गई है. वही पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता तहसीन
पूनावाला के वकील ने कहा कि जज लोया की बॉडी को मुंबई की जगह दूसरे जगह क्यों ले
जाया गया जबकि पूरा परिवार मुम्बई में था. ईसीजी इस लिए नहीं हो पाई की मशीन खराब
थी, ऐसे में बयान अपने आप में विरोधाभासी है.
इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से इंदिरा
जयसिंह ने कहा कि जज लोया की मौत के पीछे कई सवाल हैं, जिसका जवाब
एसआईटी जांच के बाद ही मिल सकता है. उन्होंने कहा कि जज लोया के परिवार में किसी
को दिल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी. यहां तक कि उनके 80 साल के पिता को
भी ऐसी कोई बीमारी नहीं थी. जबकि जज लोया 48 साल के थे और
उन्हें भी ऐसी कोई बीमारी नहीं थी. वो हर दिन दो घंटे व्यायाम करते थे.
उन्होंने कहा कि घटना के दिन वो अस्पताल खुद
सीढ़ियां चढ़ कर ऊपर तक गये थे. हालांकि, यह साफ नहीं है कि ECG हुई
थी कि नहीं और अगर हुई तो किस अस्पताल में
हुई, किसने की. उन्होंने पुलिस की
लापरवाही का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने मामले में कोताही बरती और
सीआरपीसी 174 के तरह कार्रवाई भी पूरी नहीं की और न ही कोई
एफआईआर दर्ज की.
No comments:
Write comments