Friday, 19 January 2018

भोपाल में पोषक विकारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन न्यूट्रिकॉन-2018 का शुभारंभ


भोपाल में पोषक विकारों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन न्यूट्रिकॉन-2018 का शुभारंभ लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और आयुष मंत्री श्री रुस्तम सिंह ने आज भोपाल में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन न्यूट्रिकॉन-2018 का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद श्री आलोक संजर ने की। श्री सिंह ने कहा कि अक्सर देखने में आता है कि असाध्य रोगों के लिये बड़े-बड़े शहरों में इलाज करा चुके लोग अंतत: आयुर्वेद की शरण में आते हैं और स्वस्थ हो जाते हैं। आयुर्वेद पथ्य और आहार पर जोर देता है। आज इस अवधारणा से भटकने के कारण ही कई बीमारियों का कारण आहार और अनियमित दिनचर्या हो गई है। भारतीय खाना देश की जलवायु के अनुसार है जिसमें स्वस्थ शरीर के लिए आवश्यक सभी विटामिन, खनिज, फाइबर आदि की पूर्ति हो जाती है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया अपनी फिटनेस का राज श्री रुस्तम सिंह ने बताया कि इतनी उम्र होने पर भी आज उनको बी.पी.,शुगर आदि कोई बीमारी नहीं है। इसका राज है वह देर रात जागने के बावजूद ब्रह्म मुर्हूत में उठकर दौड़ने जाते हैं। वापसी में पहले गाय को रोटी खिलाते हैं फिर दिनचर्या शुरू करते हैं। राजनीति में आने के पहले तक उन्होंने चाय नहीं पी थीं और कभी पान सिगरेट, शराब का सेवन नहीं किया। पूरा परिवार जमीन पर बैठ कर ही खाना खाता है। खाने में दही, मट्टा, लस्सी, रबड़ी, खीर आदि की प्रमुखता होती है। रोज चटनी खाने से विटामिन की कमी स्वत: पूरी हो जाती है। श्री सिंह ने आशा व्यक्त की है कि सम्मेलन में भाग ले रहे विशेषज्ञ, शोधार्थी और वैज्ञानिक इन 16 सत्रों में समय की मांग के अनुसार न्यूट्रिशन (पोषण आहार) के वैज्ञानिक और तार्किक हल निकालेंगे। श्री सिंह ने भोपाल के पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के औचक निरीक्षण का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां उन्हें एक महिला मिली जो अपने आईआईटियन बेटे का इलाज करवा रही थी। मुम्बई निवासी इस महिला ने बताया कि वह देश-विदेश में असफल इलाज के बाद यहाँ आई है। मात्र 15 दिनों में उसके बेटे की बीमारी आधी रह गई है। नवाचारों में मध्यप्रदेश का आयुष विभाग अग्रणी केन्द्रीय आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री श्री राजेश कोटेचा ने मध्यप्रदेश के आयुष विभाग की गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा किये गये नवाचार अन्य राज्यों के समक्ष उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। उन्होंने कहा आयुष मंत्रालय देश में डेढ़ लाख वेलनेस सेन्टर्स के माध्यम से लोगों को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखने के प्रयास कर रहा है आयुर्वेद बताता है कि कब, क्या, कैसे, किसके साथ क्या खाना चाहिये, इससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि लोगों को बतायें कि आहार में क्या लेने से मधुमेह, ब्लड प्रेशर, गठिया आदि बीमारियां पास नहीं आतीं। फल सब्जी नहीं संतुलित आहार लें श्री कटोच ने कहा कि भारतीय मानस में गलत अवधारणा फैलाई जा रही है कि रोटी-दाल-चावल नहीं बल्कि फल और सब्जी अधिक खायें। भारतीय खाने में भरपूर फाइबर होता है जबकि फल-सब्जी खाने की आवश्यकता उनको है, जिनका खाना मैदे के ब्रेड-बिस्किट पर आधारित है। कहा जा रहा है कि विटामिन, आयोडीन, खनिज आदि की कमी के लिये दवाइयाँ लें। हमारी त्वचा भूरी होने के कारण हमें विटामिन डी की उतनी आवश्यकता ही नहीं है। देशी घी से कोई खतरा नहीं है बल्कि स्वाूस्थ्य में सहायक है। दही बिलोकर बनाया गया घी अनेक बीमारियों से बचाता है। अंकुरित कच्चा अनाज पाचन कमजोर करता है। हाईब्रिड ने अनाज की वास्तविक प्रजातियों को नष्ट कर दिया है। आयुर्वेद क्रांति का दौर भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् की अध्यक्ष डॉ. वनिता मुरलीकुमार ने कहा कि विश्व में ऑटोमोबाइल क्रांति, बिजली, कम्प्यूटर, डिजिटल क्रांति के बाद अब आयुर्वेद क्रांति का समय प्रारंभ हो चुका है। असमय हो रही मृत्यु के लिये धनलाभ के लिये गलत खानपान का दुष्प्रचार है। उन्होंने पोषण विकार विषय चुनने पर राज्य शासन की सराहना की। मध्यप्रदेश के विन्ध्य हर्बल गुणवत्तापूर्ण महानिदेशक सी.आर.ए.एस. नई दिल्ली प्रोफेसर धीमान ने मध्यप्रदेश लघु वनोपज संघ द्वारा उत्पादित विन्ध्य हर्बल उत्पादों की प्रशंसा की। उन्होंने मध्यप्रदेश वन विभाग को सुझाव दिया कि बायोडॉयवर्सिटी एक्ट में बदलाव करते हुए आयुर्वेदिक दवाओं के लिये हिरन के अनुपयोगी सींग उपलब्ध करवाये। अकेला मध्यप्रदेश ही पूरे देश में सींग से बनने वाली दवा की आपूर्ति करने में समर्थ है। इससे मध्यप्रदेश को राजस्व की प्राप्ति भी होगी। यह दवा कई रोगों में कारगर है। मध्यप्रदेश आर्युविज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. आर.एस. शर्मा ने कहा कि मनुष्य कम खाने से नहीं, अधिक खाने से ज्यादा बीमार पड़ता है। खाना संतुलित होना चाहिये। प्रमुख सचिव श्रीमती शिखा दुबे ने कार्यक्रम के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए बताया कि सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के 700 से अधिक विषय विशेषज्ञ, शोधार्थी और प्रदेश के संभागीय एवं जिला आयुष अधिकारी भाग ले रहे हैं। सभी प्रतिभागियों ने सम्मेलन के विषय 'मैनेजमेंट ऑफ न्यूट्रिशिनल डिसआर्डस चैलेंजेस एण्ड स्कोप' की प्रशंसा की। कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत 400 से अधिक शोध-पत्रों की स्मारिका का भी विमोचन किया गया। डॉ. राजेश कुमार मालवीय ने मध्यप्रदेश गान की प्रस्तुति की। पं. खुशीलाल शर्मा शासकीय आयुर्वेद संस्थान के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला ने आभार प्रकट किया।

No comments:
Write comments

Recommended Posts × +