Tuesday, 21 November 2017

उत्सव के दूसरे दिन इतिहास, सांस्कृतिक गतिविधियों और स्वाद से सराबोर रहा परिसर


बुरहानपुर मय हुआ भारत भवन उत्सव के दूसरे दिन इतिहास, सांस्कृतिक गतिविधियों और स्वाद से सराबोर रहा परिसर 22 नवंबर को होगा कवि-सम्मेलन और मुशायरा बुरहानपुर उत्सव के दूसरे दिन आज भारत भवन परिसर बुरहानपुर की कला परम्परा, इतिहास, वहाँ के चित्रों और स्वाद से सराबोर रहा। इस अवसर पर वहाँ की समृद्ध धरोहर पर लगी प्रदर्शनी और ऐतिहासिक महत्व के भवनों के बारे में कई जिज्ञासु दर्शकों ने जानकारी ली। चार किलोमीटर लम्बे ताप्ती घाट की फोटो लोगों के आकर्षण का केन्द्र रही। फोटोग्राफर श्री नयन कपाड़िया की इस फोटो के साथ ही उनकी मटकी फोड़, नमाज व शहर की अन्य गतिविधियों पर केन्द्रित फोटोज ने भारत भवन में बुरहानपुर की छवि को जीवंत कर दिया। श्री होशंग हवलदार की ऐतिहासिक इमारतों पर प्रदर्शनी, डॉ. मेजर एम.के. गुप्ता की बुरहानपुर क्षेत्र से मिले शुंगकालीन अवशेषों, अन्य ऐतिहासिक धातु प्रतिमाओं, सीलों, सिक्कों व मुगल टकसाल पर केन्द्रित प्रदर्शनी और श्री शालिक राम चौधरी द्वारा कुंडी भंडारा की तकनीक का प्रस्तुतिकरण करते चित्रों ने बुरहानपुर के समृद्ध अतीत को बखूबी अभिव्यक्त किया। उत्सव के सायंकालीन सत्र में शास्त्रीय गायन, लोक संस्कृति आधारित नृत्य और संगीत से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। शास्त्रीय गायक श्री तुकाराम पाटिल ने प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि श्री पाटिल द्वारा रचित 56 सुर तरंगों को उत्तरप्रदेश के संगीत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता दी गई है। गायन में सीताराम चौधरी ने हारमोनियम और गोपाल पाटिल ने तबले पर संगत दी। कीर्तनकार कैलाश यावतकर तथा पण्डरीनाथ पाटिल की प्रस्तुति के साथ-साथ दिलीप कटियारे के भजन और मुकेश दरबार समूह द्वारा आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम में बलवंत पौराणिक ने गीतकांच तरंग और चंचल कुशवाहा ग्रुप ने गुजराती गरबा तथा अश्विनी टेमले ने मुक्ताकाश मंच पर रंगारंग प्रस्तुति दी। उत्सव के अंतर्गत आयोजित आनंद मेला में बुरहानपुर के प्रसिद्ध व्यंजनों जैसे मावा जलेबी, देग वाले दाल-चावल, वेज हलीन, ज़र्दा (मीठे चावल), निमाड़ी दाल-बाटी, श्री बालाजी महाराज के प्रसाद दराबा, फलीदाना चटनी की सुगंध और स्वाद बहुत सराहे गये। 22 नवंबर को होगा कवि-सम्मेलन और मुशायरा बुरहानपुर उत्सव के तीसरे दिन 22 नवंबर को सायं 6.30 बजे से कवि सम्मेलन, पारंपरिक नृत्य और मुशायरे का आयोजन होगा। इसके साथ ही आनंद मेला के अंतर्गत स्थानीय व्यंजन जैसे चना कचौड़ी, देग वाले दाल-चावल, मावा जलेबी, मूंगदाल, भाकर बड़ी जैसे व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकेगा। कवि सम्मेलन में ठाकुर वीरेन्द्र सिंह, श्री सुरेन्द्र जैन भारती, श्री वीरेन्द्र कुमार निरजा, श्री श्याम ठाकुर, श्री सरस्वती विस्पुते, श्रीमती पूर्णिमा हुंडीवाला, श्रीमती उज्जवला बेन कपाड़िया, श्री रमेशचंद्र धुआंधार अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे। मुशायरे में श्री नईम अख्तर, श्री खलील असद, श्री जलीलुर्रमान, श्री तब्जील ताबिश, श्री एजाज उम्मीदी, श्री शउर आशना, श्री जमील असगर, श्री अनवर माही, श्री अहद अंसारी और श्री ताहेर नकाश शिरकत करेंगे।

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