सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से कमाए 2.67
लाख करोड़
- पेट्रोल के मुकाबले डीजल से अधिक मिला राजस्व
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दामों में जहां
कमी रही, वहीं हमारे देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में तेजी देखने को
मिली। इससे आम आदमी की जेब भले हल्की हुई हो, मगर सरकार का
खजाना भर गया। बीते वित्तीय वर्ष में कई बार अप्रत्यक्ष करों में की गई बढ़ोतरी से
सरकार के खजाने में बीते वित्तीय वर्ष में 2.67 लाख करोड़
रुपये की रकम आई है। जो अपने आप में रिकॉर्ड है। राजस्व विभाग के अधीन आने वाले
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिस्टम एंड डाटा मैनेजमेंट (डीजीएसडीएम) द्वारा मध्य प्रदेश
के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से
पता चलता है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर अधिरोपित किए गए अप्रत्यक्ष करों (केंद्रीय
उत्पाद और आयात व सीमा शुल्क) से सरकार को भारी आमदनी हुई है।
गौड़ ने सूचना के अधिकार के तहत विभाग से पूछा
था कि वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक पेट्रोलियम
उत्पादों पर लगने वाले केंद्रीय शुल्क से कुल कितने राजस्व (आय) की प्राप्ति सरकार
को हुई है। इस पर विभाग ने जो जवाब दिया है, वह बताता है कि
पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार को वित्तीय वर्ष 2016-17 में 2.67
लाख करोड़ रुपये की आय हुई है, जबकि वर्ष 2012-13
में राजस्व की प्राप्ति 98,602 करोड़ रुपये ही थी। विभाग के जवाब के
मुताबिक, पेट्रोलियम उत्पादों के करों से वर्ष 2013-14 में एक लाख 4,163
करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर एक
लाख 22,926 करोड़ रुपये हो गया. इसके बाद वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा
बढ़कर दो लाख 3,825 करोड़ रुपये हो गया. फिर तो 2016-17
में पेट्रोलियम उत्पादों से मिले राजस्व का आंकड़ा दो लाख 67 करोड़ रुपये पर
पहुंच गया। विभाग द्वारा दिए गए बीते पांच वर्षो के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो
पता चलता है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए अप्रत्यक्ष करों (केंद्रीय उत्पाद
और आयात व सीमा शुल्क) से सरकार की आमदनी लगभग तीन गुना हो गई है। मंत्रालय के
ब्यौरे से मिली जानकारी के मुताबिक जहां वर्ष 2012-13 में पेट्रोल से
23,710 करोड़ रुपये और डीजल 22,513 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में
प्राप्त हुआ, वहीं वर्ष 2016-17 में पेट्रोल से
66,318 करोड़ रुपये तथा डीजल से एक लाख 24,266 करोड़ रुपये के
राजस्व की प्राप्ति हुई।
गौरतलब है कि पहले पेट्रोल से मिलने वाला
राजस्व अधिक था और डीजल का राजस्व कम. अब स्थिति ठीक उलट है। इन आंकड़ों से महंगाई
बढऩे की वजह का खुलासा भी होता है क्योंकि डीजल से मिला राजस्व 2012-13 के
मुकाबले 2016-17 में लगभग छह गुना है। खेती, उद्योग,
परिवहन
में पेट्रोल के मुकाबले डीजल का इस्तेमाल अधिक होता है, लिहाजा डीजल के
दाम बढ़ने से महंगाई भी बढ़ी।
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