प्रदेश की हर नदी को बचाने का अभियान जनता के
सहयोग से चलेगा : मुख्यमंत्री श्री चौहान
नदियों को बचाने के अभियान के लिये युवा आगे
आयें – सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव
नदी अभियान कार्यक्रम
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है
कि नदी बचाओ अभियान की शुरूआत देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश की जनता ने की थी।
प्रदेश में नर्मदा सेवा यात्रा पाँच माह और पाँच दिन तक आयोजित की गयी। प्रदेश की
हर नदी को बचाने का अभियान जनता के सहयोग से चलाया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान
आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास में सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव के सानिध्य में आयोजित
नदी अभियान के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारी
संस्कृति में नदियों को माँ माना गया है। दुनिया की सारी सभ्यताएं नदियों के तटों
पर विकसित हुई है। भौतिक प्रगति की चाह में हमने जिंदगी देने वाली नदियों को सूखा
दिया है। देश की नदियों की स्थिति अच्छी नही हैं। नदियों के बिना जीवन की कल्पना
नहीं की जा सकती है। बाढ़, सूखे और अनियमित वर्षा का संकट लगातार
बना हुआ है। भू-जल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव के
मार्गदर्शन में हमने तय किया है कि नदियों के किनारें वृक्षारोपण करेंगे। प्रदेश
में एक दिन में साढ़े छह करोड़ पेड़ लगाये गये हैं। पेड़ लगाना और बचाना जीवन का
हिस्सा बन जाये। नदी और पेड़ बचाने के लिये नर्मदा सेवा मिशन शुरू किया गया है। इस
मिशन में सरकार के साथ समाज मिलकर काम करे। सदगुरू जनमानस को प्रेरित करने का काम
कर रहे हैं। धरती, नदी और पर्यावरण को बचाने का यह अभियान है।
उन्होंने कहा कि संकल्प लें कि धरती, नदी और आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिये
इस अभियान को जीवन का अंग बनायेंगे। उन्होंने सदगुरू को मध्यप्रदेश की जनता की ओर
से नदी अभियान का संकल्प पत्र सौंपा।
सदगुरू श्री जग्गी वासुदेव ने युवाओं से आव्हान
किया है कि प्रत्येक राज्य से सौ समर्पित
युवा अगले तीन सालों के लिये नदियों के बचाने के अभियान के लिये स्वयं को समर्पित
करें। यह न सोचे कि मेरा क्या होगा। उन्होने कहा कि उनमें बडा परिवर्तन होगा।
उन्होंने कहा कि समर्पित युवा सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर नदियों को बचाने का
काम करेंगे। उन्होने कहा कि नदियों को बचाने के इस अभियान का नेतृत्व वे स्वयं
करेंगे। उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे अपने अपने राज्यों में पैदल,
सायकल,
मोटर
सायकल से नदियों के लिये रैली निकालें।
सदगुरू ने 35 साल पहले हुई
अलौकिक अनुभूति की चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि यदि नदियों को बचाने का
काम अभी शुरू नहीं किया गया तो कई दशकों की मेहनत ज्यादा लगेगी। उन्होने कहा कि
मिटटी और पानी का कम होना सबसे खतरनाक है।
उन्होने कहा कि नदी बचाने का अभियान अब राष्ट्रीय अभियान बन चुका है। इसे
बच्चों, मीडिया और सैन्य बलों का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत
प्रयासों से केवल आत्मसंतुष्टि मिलेगी लेकिन समाधान नही। इसलिये पर्यावरण की
सुरक्षा, मिटटी और पानी की सुरक्षा करना जरूरी है। उन्होने कहा कि पहली बार
भारत में ऐसा हो रहा है कि नदियों के संरक्षण के अभियान को सभी राज्यों का पूरा
पूरा समर्थन मिल रहा है। सभी राजनैतिक दलों का समर्थन मिल रहा है। अब सरकारों के
साथ साथ लोगों को भी इस काम के लिये एक जुट होना पडेगा। उन्होंने कहा कि जनता का
नदियों को पुनर्जीवन देने वाली नीति बनाने के लिये समर्थन मिलना चाहिये। ताकि आने
वाली सरकारें लोगों के समर्थन और संकल्प को याद रखें और जनता के दबाव में इस दिशा
में काम करें। सदगुरू ने कहा कि मुख्यमंत्री के इरादे नेक हैं और उददेश्य नेक हैं।
उन्होने कहा कि नदियों के लिये पहली बार विज्ञान और राजनीति का संगम करने जा रहे
हैं। उन्होने कहा कि आज दुर्भाग्य यह है कि हम स्वयं नदियों और पर्यावरण विनाश में
कहीं न कहीं भागीदार हैं।
कार्यक्रम में पदमश्री श्री प्रहलाद टिपाणिया
ने कबीर के पदों में जल और गुरू की महत्ता पदों का गायन किया। मुख्यमंत्री श्री
चौहान ने सदगुरू सहित उपस्थित सभी धर्मगुरूओं का शॉल-श्रीफल से सम्मान किया।
जीवनदायिनी नदियों के महत्व पर वृत्तचित्रों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का
संचालन अभिनेता राजेश कुमार ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित विधानसभा उपाध्यक्ष
श्री राजेन्द्र सिंह, मंत्रीगण, मुख्यमंत्री की
धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह और ईशा फाउन्डेशन के अनुयायी उपस्थित थे।
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