विवेकानंद नीडम में ‘‘योगः ध्यान-प्राणायाम’’ प्रशिक्षण वर्कशॉप का समापन
आनंद केंद्र, विवेकानंद नीडम में आयोजित दस दिवसीय ‘‘योगः ध्यान-प्राणायाम’’ प्रशिक्षण वर्कशॉप का समापन आज प्रातः नीडम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि ट्रिपल आईटीएम के डायरेक्टर प्रो. एस.जी. देशमुख ने अपने प्रेरणादायी उदबोधन में कहा कि वैज्ञानिक विधि से प्राणायाम का अभ्यास करने से अनेक जाने अनजाने लाभ प्राप्त होते हैं तथा हमारा शरीर व मन स्वस्थ होता है। उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर के अंधाधुंध विस्तार एवं सोषल मीडिया में युवा पीढ़ी की बढ़ती व्यस्तता ने योग, ध्यान एवं प्राणायाम को वर्तमान पीढ़ी से दूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि आज के युवा फेसबुक तथा व्हाटसअप आदि सोशल मीडिया में इतने मगन हो गए हैं कि उनके पास ध्यान-प्राणायाम के लिए वक्त ही नहीं बचा है। प्रो. देषमुख ने ध्यान की महत्ता प्रतिपादित करते हुए कहा कि ध्यान व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही पहलुओं को व्यवस्थित एवं उत्कृष्ट बनाने का सुनियोजित माध्यम है।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित आईपीएस काॅलेज समूह के डायरेक्टर डाॅ. अरूण त्यागी ने कहा कि आनंद केंद्र, विवेकानंद नीडम द्वारा योग, ध्यान, प्राणायाम को प्रोत्साहित करने तथा युवाओं के बीच इन भारतीय परंपराओं के प्रचार-प्रसार करने के लिए जो अभियान चलाया जा रहा है, वह सराहनीय व अनुकरणीय है। भारत सरकार के महालेखाकार श्री शाह ने भी अपना प्रभावी उदबोधन दिया। इस अवसर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी षिविरार्थियों को विवेकानंद नीडम की ओर से सर्टिफिकेट प्रदान किये गये। दस दिन तक चली इस कार्यशाला में योग के सुप्रतिष्ठित विद्वान अनिल सरोदे ने ध्यान तथा प्राणायाम एवं सुनीता पाल्र्हेकर ने प्रशिक्षिणार्थियों को शवासन का प्रशिक्षण दिया। उक्त सर्टिफिकेट कोर्स का उद्देश्य लोगों को योग के प्रति जागरूक करना तथा ध्यान व प्राणायाम में पारंगत करना था।
मप्र चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के पूर्व मानसेवी सचिव एवं रोटरी के पूर्व गवर्नर भूपेन्द्र जैन ने बताया कि इस तरह के योग प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन का क्रम निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि 1 से 10 सितंबर तक आयोजित इस वर्कशाप के उत्कृश्ट परिणाम आए हैं तथा योग से समाज के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने के लिए अभियान को और द्रुत स्वरूप दिया जाएगा।
विवेकानंद नीडम के जीवनव्रती कार्यकर्ता अनिल सरोदे ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि योग की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण ले रहे लोगों में शिविर को लेकर काफी उत्साह देखा गया। विषेश बात यह है कि इस योग सर्टिफिकेट कोर्स का लाभ 12 वर्ष की आयु से लेकर सभी उम्र के पुरूष-महिलाओं ने उठाया।
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