Saturday, 5 August 2017

समय पर मिलती सब्सिडी, बच जाते 35,701.81 करोड़ एफसीआई का मामला: कैग

समय पर मिलती सब्सिडी, बच जाते 35,701.81 करोड़  एफसीआई का मामला: कैग 
 

नई दिल्ली (ईएसएम)। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है भारत में सरकार और प्रशासन की लापरवाही के कारण कई करोड़ों रुपए बेकार हो जाते है। बावजदू इसके सरकारों और नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसी तरह का एक लापरवाही का मामला भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई में सामने आया है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया हैं कि एफसीआई को यदि सब्सिडी की रकम समय पर दी जाती तो वह 2011-16 के दौरान 35,701.81 करोड़ रुपए ब्याज की बचत कर सकता था। इसके साथ ही सीएजी ने सुझाव दिया है कि निगम को सब्सिडी का पूरा आवंटन किया जाना चाहिए। ऑडिटर ने यह भी सुझाव दिया कि एफसीआई को नकद कर्ज सीमा खत्म होने से पहले अल्पकालीन कर्ज के इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए खाद्य मंत्रालय के जरिए समूह से संपर्क करना चाहिए। सीएजी ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि एफसीआई को बॉन्ड जारी करने के लिए फिर से मंजूरी लेनी चाहिए, ताकि उसके पास सस्ते कर्ज की पहुंच हो सके।
संसद में पेश हुई कैग की रिपोर्ट के मुताबिक औसतन सरकार ने पिछले 5 साल में केवल 67 प्रतिशत सब्सिडी दावा जारी किया। इसके कारण एफसीआई को अन्य महंगे स्रोत से कर्ज लेना पड़ा, जिससे 2011-16 के दौरान ब्याज का बोझ बढ़कर 35,701.81 करोड़ रुपए हो गया।
उल्लेखनीय हैं कि एफसीआई ने 2011-16 के दौरान 4,45,809.59 करोड़ रुपए की सब्सिडी का दावा किया। इसमें से उसे मंत्रालय की तरफ से 3,00,675.88 करोड़ रुपए मिले। हालांकि इस दौरान निगम के लिए अनाज खरीद, वितरण और अन्य प्रशासनिक लागत 6,33,788 करोड़ रुपए की रही। सीएजी के प्रधान निदेशक एवं ऑडिटर आशुतोष शर्मा ने कहा,यदि सरकार उसी वित्त वर्ष सब्सिडी की पूरी राशि का भुगतान कर देती तो बाजार से धन लेने की जरूरत नहीं होती और अतिरिक्त ब्याज की बचत की जा सकती थी।
आशीष/ईएमएस/05 अगस्त 2017

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