Thursday, 27 July 2017

किसान संसद मील का पत्थर साबित होगा: देवेंद्र शर्मा



किसान संसद मील का पत्थर साबित होगा: देवेंद्र शर्मा



26 जुलाई, भोपाल। विचार मध्यप्रदेश द्वारा 26 जुलाई को गांधी भवन में एक दिवसीय किसान संसद आयोजित की गई। इस संसद में सैकड़ों किसान और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की।

 किसान संसद की अध्यक्षता प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ और चिंतक देवेंद्र शर्मा ने की। श्री शर्मा ने कहा कि आज देश के किसान और किसानी को बचाने की चुनौती का मजबूती से सामना करना है। यह तभी संभव है जब किसान की न्यूनतम आय तय कर उसे प्राप्त करने का कानूनी अधिकार मिले हम दुनिया से 10 साल पीछे चल रहे हैं।दुनिया के विकसित राष्ट्रों द्वारा रिजेक्टेड नीतियों को लागू कर रहे हैं।

हैदराबाद में 16 राष्ट्रों की चल रही रीजनल कोऑपरेशन फ़ॉर इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) की बैठक जिसमें चीन,जापान,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ कोरिया शामिल हैं, भारत के बाजार को विदेशी कृषि उत्पाद के लिए खोले जाने का सर्वानुअति से विरोध किया। संसद ने यह प्रस्ताव पास किया कि इसमें किसान और किसानी बर्बाद हो जाएगी।



कार्यक्रम के प्रारंभ में मंदसौर (गोलीकांड के शहीद किसानों तथा आत्महत्या में मृत किसानों को श्रद्धान्जलि दी गई।

  मुख्य अतिथि के स्वागत में प्रारम्भ में अक्षय हुंका ने विचार मध्यप्रदेश के द्वारा अभी तक किये गए कार्यों की जानकारी दी। साथ ही श्री हुंका ने कहा कि किसानों को एकजुट होनेे की ज़रूरत है और यह संसद उस ही दिशा में पहला कदम है।

किसान संसद के संयोजक श्री आजाद सिंह डबास ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। प्रथम सत्र की अध्यक्षता श्री गिरजा शंकर शर्मा तथा द्वितीय सत्र की अध्यक्षता श्री पारस सकलेचा ने किया। अतिथियों का स्वागत विजय वाते ने किया। अध्यक्ष जी की अनुमति से पारस सकलेचा ने RCEP के प्रस्तावों के विरोध तथा विनायक परिहार ने किसान इनकम आयोग के गठन का प्रस्ताव रखा दोनों प्रस्ताव सर्वानुमति से पारित किये गये ।

श्री देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पंजाब में किसान आत्महत्या की बढ़ते प्रकरण पर हमें चिंतन करना है  90% सिंचित भूमि तथा गेहूं धान तथा मक्की के उत्पादन में दुनियां में रिकॉर्ड बनाने के बाद कि वहां प्रतिदिन 3-4 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सिर्फ उत्पादन वृद्धि और सिंचित भूमि सेे समस्या का समाधान  होगा।


  इसमें भाग लेते हुए गिरिजाशंकर शर्मा ने कहा कि किसान ताकत बने और अपने हक की मांग सरकार को मानने को मजबूर करें। श्री विवेकानंद ने कहा कि सरकार का कृषि उत्पाद की कीमत तय करने के सूत्र गलत हैं किसान को 292 रु प्रतिदिन का मजदूर माना गया है. उसकी आपकी गिनती ही नहीं हैं।

     श्री सुरेश गुर्जर ने किसान आयोग की जगह किसान ट्रिब्यूनल बनाने का सुझाव दिया। पूर्व सांसद राजगढ़ श्री लक्ष्मण सिंह ने कृषि आयात पर अंकुश लगाने का कहा। उन्होंने कहा कि मजबूत किसान आयोग बने. श्री राजीव खण्डेलवाल बैतूल ने किसान को न्यूनतम 20000 रु मासिक आय को तय करने की नीति बनाने को कहा। डॉ. सुनिलम ने न्यूनतम आय को किसान आयोग की परिधि में लाने को कहा उन्होंने कहा कि जितने भी अंतराष्ट्रीय समझौते हुए सारे संसद और विधानसभा में चर्चा के बगैर तय किये गए। उन्हें रद्द कर संसद एवं विधानसभा में स्वीकृति हेतु रखा जाए। डॉ. चंदुलकर ने नीति आयोग के अर्थशास्त्री की अध्यक्षता में कमेटी बनाये जाने को कहा। श्री रतनलाल ने कहा कि किसान को पूर्णकालिक व्यवसाय दिया जाए। श्री केदार सिरोही ने कहा कि हम ग्रामीण बाजार से ही सारा सामान खरीदें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करें। छत्तरपुर के भगवान सिंह ने कहा कि ग्रामीण जड़ी बूटियों के उत्पाद को बढ़ाएं।


संसद द्वारा दो कमिटियां बनाई गईं, एक किसान इनकम आयोग के लिये जिसके संयोजक पारस सकलेचा तथा दूसरी साख प्रबंधन, भू अधिग्रहण और बीमा के लिए बनाई गई जिसके संयोजक श्री गिरिजा शंकर शर्मा हैं।

कार्यक्रम के अंत में अपना उद्बोधन देते हुए श्री देवेंद्र शर्मा ने कहा कि क्या कुछ ऐसा भी हो सकता है जो किसान कहे कि हम कर सकते हैं। सिर्फ सरकार की गलतियां निकालने से काम नही चलेगा। हमारा भी बहुत बड़ा रोल है कि यह संदेश दें कि किसान सिर्फ मांगता ही नही है बल्कि वह कुछ करना भी जानता है।


इस कार्यक्रम में सरद भण्डावत, मोहन पाण्डेय, कन्हैयालाल पाटीदार,सुभाष पाटीदार महू, नीरज द्विवेदी इंदौर, मनोहर पटेल पिपरिया, संतोष पेठिया , इरफान जाफरी, दलपत सिंह परमार, डॉ. आनंद राय, महंत पितमपुरी , विक्रांत राय, नीलू अग्रवाल, सुरेश गुर्जर (किसान संघ), विवेकानंद मांगने, आर एस वर्मा आदि शामिल रहे।

किसान संसद अनूठा आयोजन है कि देश इस संसद के निर्णय को जानना चाहता है। किसान भयंकर संकट के दौर से गुजर रहा है। किसान अपने को कमजोर न समझे। महाराष्ट्र के 7 जिले और मध्यप्रदेश के 4 जिलों के आंदोलन से सारा देश हिल गया।

विचार मध्यप्रदेश ने तय किया कि भोपाल किसान घोषणा पत्र को पूरे प्रदेश तक फैलाया जाएगा एवं इसके लिए प्रत्येक संभाग में ऐसे ही संसद आयोजित की जाएगी।

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