आख़िर सुरक्षा में चूक कहाँ हुई?
सोमवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में हिंदू तीर्थयात्रियों पर हुए चरमपंथी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां इस जांच में जुट गई हैं कि आखिर चूक कहां हुई.यात्रा का संचालन करने वाली अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष के तौर पर राज्यपाल एन. एन. वोहरा द्वारा बुलाई गई आपातकालीन बैठक में इस पर विचार-विर्मश किया गया. बताया जा रहा है कि ख़ुफिया एजेंसियों ने अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले ही हमले की चेतावनी दी थी.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 'अमरनाथ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए सेना, सीआरपीएफ़, बीएसएफ़ और राज्य पुलिस के क़रीब एक लाख जवान तैनात किए गए हैं." हालांकि उन्होंने और कुछ बताने से इंकार कर दिया. प्रशासन इस यात्रा पर नज़र रखने के लिए पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल भी कर रहा है.
अमरनाथ यात्रा पर लगभग 15 वर्षों के दौरान पहली बार चरमपंथी हमला हुआ है. इससे पहले 1 अगस्त 2000 को इस तीर्थयात्रा पर सबसे बड़ा चरमपंथी हमला हुआ था. समुद्र तट से 13,888 फीट की ऊंचाई पर पहलगाम में स्थित श्राइन बोर्ड के बेस कैंप पर हुए हमले में तब 45 लोगों की मौत हुई थी.
सोमवार को हुए चरमपंथी हमले में मृतक सभी सात तीर्थयात्री पश्चिमी गुजरात से हैं.
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