भारतीय चुनाव आयोग ने ईवीएम को लेकर जताए जा रहे संदेहों को बीच राजनीतिक दलों को ईवीएम को हैक कर के दिखाने की चुनौती दी है. मुख्य
चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने नई दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा
है कि ये चैलेंज उन सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दलों के लिए
है जिन्होंने हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हिस्सा
लिया था. ईवीएम और वीपीपैट को लेकर चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को 3
जून से ईवीएम को हैक करने का चैलेंज दिया है. हर दल को 4 घंटे का समय दिया
जाएगा. हाल ही में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में
हुए चुनावों के बाद बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी समेत कुछ अन्य
राजनीतिक दलों ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को दो चुनौतियां दी हैं. चुनाव
आयोग की पहली चुनौती है कि राजनीतिक दल ये साबित करें कि पांच राज्यों में
इस्तेमाल हुई ईवीएम के साथ मतदान के बाद छेड़छाड़ हुई और इससे किसी ख़ास
उम्मीदवार या पार्टी को जिताया गया. आयोग की दूसरी चुनौती है कि कोई भी
ये साबित कर दिखाए कि इन पाँच राज्यों में इस्तेमाल हुई ईवीएम के साथ मतदान
से पहले या मतदान के दिन छेड़छाड़ की गई. मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है और न ही आयोग की किसी भी दल के साथ नजदीकी है. उन्होंने
यह भी कहा कि यह प्रचारित किया जा रहा है कि ये ईवीएम विदेश से आ रही हैं
लेकिन ऐसा नहीं है. हमारी मशीनें देश में ही बनती हैं. इन्हें भारत
इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया तैयार करता
है. इन मशीनों में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसका डाटा ट्रांसफर नहीं हो सकता. इसके
साथ ही सीईसी ने कहा कि शंकाओं के निराकरण के लिए 2019 के आम चुनावों से
हर मतदाता को वीवीपैट उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसा करने वाला भारत पूरी दुनिया
का अकेला मुल्क होगा. चुनाव आयुक्त ने कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ को लेकर कुछ शिकायतें मिली हैं, लेकिन सबूत नहीं मिले हैं.
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