Wednesday, 24 May 2017

बाबू हमारी बस्ती में कोई वी आई पी नहीं ...

बाबू हमारी बस्ती में कोई वी.आई.पी नहीं ...

आज हमारा शहर भोपाल स्वछता में दूसरे पायदान पर  है फिर भी यहाँ की नगर निगम शहर द्वारा  सभी वार्डो में समानता के साथ कार्य नहीं किया जा रहा है

ये देखने में आप सबको आ सकता है कि चार इमली, ई-1, 2, 3, 74बंगले, श्यामला हिल्स आदि को चमका दिया गया है वही दूसरी ओर कोलार रोड के वार्डो के साथ सोतेला व्यवहार हो रहा है 

ये देख कर तो ऐसा कहना उचित है कि "बाबू हमारी बस्ती में कोई वी.आई.पी नहीं ..."



अभी कुछ दिन पहले ही एक वरिष्ठ पत्रकार ने भी हमे सोशल मीडिया पर अवगत कराया था 


बुरा जो देखन मैं चला,,,,,,

भोपाल। भोपाल देश के दूसरे साफ सुथरे शहर में शुमार हो गया है। हम बहुत गद गद है। होना भी चाहिए। भोपाली जो ठहरे।37 साल से रहते हुए हमें बदबू में साँस लेने और कचरे के ढेर देखने की आदत सी पड़ गई है।यह सच है कि भोपाल पहले की तुलना में बेहद साफ है लेकिन इतना साफ नहीं है कि दो नंबर का साफ हो जाये। पत्रकारों की एक कार्यशाला के सिलसिले में विशाखापत्तनम जाने का मौका मिला।सात दिन की इस यात्रा में रेलवे स्टेशन से लेकर बस स्टैंड,समुद्र के किनारे से लेकर नेवी के बंदरगाह,विशाखापत्तनम शहर से लेकर 200 किलोमीटर ऊंचाई पर बसे काफी और गर्म मसाले वाली पर्वत श्रंखलाओं में बसे गावों तक घूमने का मौका मिला। हर जगह चाक चौबंद सफाई मिली। यह सफाई दिखावा नहीं आदत थी। हर शहर हर गांव में सफाई मिली। हर पक्की दुकान, हर हाथ ठेला, हर बिजली के खंभे पर कचरे के डिब्बे बंधे है। यह दुकानदार की जिम्मेदारी है कि कचरा डिब्बे के अंदर रहे। मीलों दूर कागज का टुकड़ा ढूंढने से नहीं मिलेगा। मेरे जैसा अदना सा आदमी कचरा ढूंढ कर लाने वाले को इनाम देने को तैयार हूँ। मैंने रात को एक बजे महिला सफाई कमियों को वर्दी में सफाई करते देखा है।आप भोपाल में ऐसे दृश्य की कल्पना नहीं कर सकते। मुझे आश्चर्य है विशाखापत्तनम जैसा शहर सफाई की दौड़ में पिछड़ गया।शहर को साफ रखने के लिए सिर्फ नगर निगम नहीं खुद को सफाई राजदूत बनना पड़ेगा। नगर निगम के सफाई कर्मियों और सफाई के बारे में सभी वाफिक हैं।नगर के सभी जिम्मेदार नेता,अधिकारी,कर्मचारी आम आदमी को मालूम है कि सफाई कहाँ है और कहाँ साली से गंदगी के ढेर लगे है।मेरे शासकीय आवास के पडोसी और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अनिल माधव दवे के निजी आवास से सौ कदम की दूरी पर कचरे का ढेर उनके जिन्दा रहते भी नही हटा था और मृत्यु के बाद भी नहीं हटा है। भोपाल का वाशिंदा,वरिष्ठ नागरिक,वरिष्ठ पत्रकार होने के नाते मेरे मन की टीस है कि हम सब इसके लिए जिम्मेदार है।मुख्य सड़कों को छोड़कर सभी जगह गंदगी का डेरा है। पूरे शहर का मुआयना करने पर इस हकीकत का पता लग जायेगा।मेरा उद्देश्य की भावना को ठेस पहुचाना नहीं वरन आइना दिखाना है। बाकी रही नेतागिरी की बात तो भोपूं और भोपूं के चिल्लाइये मेरा शहर पूरे देश में दो नम्बर है।
राम मोहन चौकसे राज्य स्तरीय अधिमान्य स्वतंत्र पत्रकार।

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