कावेरी जल विवाद: पीएम ने की शांति बनाए रखने की अपील
कावेरी जल विवाद के चलते कर्नाटक और तमिलनाडु में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों राज्यों की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कावेरी जल विवाद पर दुःख जताते हुए अपने सन्देश में कहा किसी भी विवाद का हल क़ानून की परिधि में ही संभव है और क़ानून तोड़ना कोई विकल्प नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विवाद पर हिंसा से उन्हें व्यक्तिगत पीड़ा हुई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में समस्या का समाधान संयम और आपसी बातचीत से ही निकलता है ।श्री मोदी ने कहा कि इस विवाद का हल क़ानून की परिधि में ही संभव है । पिछले दो दिनों से जिस तरह की हिंसा और आगज़नी हो रही है, उसमें नुकसान किसी गरीब का ही हो रहा है, ‘‘हमारे देश की ही सम्पति का हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में कर्नाटक और तमिलनाडु के लोगों ने सदा संवेदनशीलता का परिचय दिया है । उन्होंने दोनों राज्यों की जनता से अपील की कि संवेदनशीलता बर्तने के साथ ही वह अपने नागरिक कर्तव्यों को भी याद रखें। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों राज्यों के लोग राष्ट्रहित और राष्ट्र निर्माण को सर्वोपरि समझते हुए हिंसा, तोड़फोड़, आगज़नी के बजाय संयम, सद्भावना और समाधान को प्राथमिकता देंगे ।वहीं केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु में कावेरी जल को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शन परेशान करने वाले हैं और किसी भी आधार पर इन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता।उन्होंने कहा, “मैं अपील करता हूं कि दोनों राज्य सरकारें और राजनीतिक पार्टियां हिंसा को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके साथ ही मैं मीडिया से भी आग्रह करता हूं कि दोनों राज्यों में इन घटनाओं की रिपोर्टिंग में संयम बरतें। इस तरह की घटनाओं को उजागर करने से हिंसा और भी भड़क सकती है। मुझे उम्मीद है कि मीडिया शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने में एक रचनात्मक भूमिका अदा करेगी”।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रकार की हिंसा ठीक नहीं है और यह कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई अंतरिम आदेश दिया है। इसके बाद भी यदि कोई समस्या है तो दोनों राज्यों के नेता आपस में बातचीत कर सकते हैं और किसी समाधान पर पहुंच सकते हैं। दोनों राज्यों से संबद्ध लोग एक दूसरे राज्य में रहते हैं और ऐसे माहौल में उनकी सुरक्षा की चिंताएं गहरा जाती हैं।
कावेरी जल विवाद के चलते कर्नाटक और तमिलनाडु में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों राज्यों की जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कावेरी जल विवाद पर दुःख जताते हुए अपने सन्देश में कहा किसी भी विवाद का हल क़ानून की परिधि में ही संभव है और क़ानून तोड़ना कोई विकल्प नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विवाद पर हिंसा से उन्हें व्यक्तिगत पीड़ा हुई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में समस्या का समाधान संयम और आपसी बातचीत से ही निकलता है ।श्री मोदी ने कहा कि इस विवाद का हल क़ानून की परिधि में ही संभव है । पिछले दो दिनों से जिस तरह की हिंसा और आगज़नी हो रही है, उसमें नुकसान किसी गरीब का ही हो रहा है, ‘‘हमारे देश की ही सम्पति का हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में कर्नाटक और तमिलनाडु के लोगों ने सदा संवेदनशीलता का परिचय दिया है । उन्होंने दोनों राज्यों की जनता से अपील की कि संवेदनशीलता बर्तने के साथ ही वह अपने नागरिक कर्तव्यों को भी याद रखें। उन्होंने विश्वास जताया कि दोनों राज्यों के लोग राष्ट्रहित और राष्ट्र निर्माण को सर्वोपरि समझते हुए हिंसा, तोड़फोड़, आगज़नी के बजाय संयम, सद्भावना और समाधान को प्राथमिकता देंगे ।वहीं केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कर्नाटक और तमिलनाडु में कावेरी जल को लेकर हो रहे हिंसक प्रदर्शन परेशान करने वाले हैं और किसी भी आधार पर इन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता।उन्होंने कहा, “मैं अपील करता हूं कि दोनों राज्य सरकारें और राजनीतिक पार्टियां हिंसा को रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएं और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसके साथ ही मैं मीडिया से भी आग्रह करता हूं कि दोनों राज्यों में इन घटनाओं की रिपोर्टिंग में संयम बरतें। इस तरह की घटनाओं को उजागर करने से हिंसा और भी भड़क सकती है। मुझे उम्मीद है कि मीडिया शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने में एक रचनात्मक भूमिका अदा करेगी”।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रकार की हिंसा ठीक नहीं है और यह कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कोई अंतरिम आदेश दिया है। इसके बाद भी यदि कोई समस्या है तो दोनों राज्यों के नेता आपस में बातचीत कर सकते हैं और किसी समाधान पर पहुंच सकते हैं। दोनों राज्यों से संबद्ध लोग एक दूसरे राज्य में रहते हैं और ऐसे माहौल में उनकी सुरक्षा की चिंताएं गहरा जाती हैं।
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