अब निजी कंपनियों को ट्रेनों के नाम बेचेगी INDIAN RAILWAY
भारतीय रेलवे अब कंपनियों-निवेशकों को ट्रेनों के नाम बेचेकर कमाई का नया साधन तैयार कर रही है।दसअसल इन दिनों भारतीय रेल किराये से इतर आमदनी बढ़ाने का हर संभव तरीका आजमा रही है। रेल मंत्रालय में नवगठित नॉन-फेयर रेवेन्यू डायरेक्टरेट रेलवे की संपत्तियों से पैसे कमाने के लिए केपीएमजी और ईवाइ जैसी निजी सलाहकार संस्थाओं के साथ काम कर रहा है। एनएफआर परियोजनाओं में सबसे महत्वाकांक्षी प्रस्तावित रेल डिस्प्ले नेटवर्क (आरडीएन) है। उम्मीद है कि लॉन्चिंग के छह साल बाद इससे सालाना 3,500 करोड़ रुपये की आमदनी होगी।इसके अलावा निदेशालय गैर टैरिफ राजस्व को बढ़ाने के लिए रेलवे पटरियों के इर्द-गिर्द व्यावसायिक खेती, रेलवे कर्मियों के लिए वर्दी का प्रायोजन और गतिविधियों एवं घटनाओं के प्रायोजन जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश दे रही है । ट्रेनों की ब्रैंडिंग के लिए रेलवे किसी खास ट्रेन से जुड़े रुपये-पैसे समेत नाम रखने तक के सारे अधिकार किसी एक कंपनी को देने की योजना पर विचार कर रहा है। इसके तहत ट्रेन के नाम से पहले कंपनियों के नाम का इस्तेमाल किया जाएगा।निदेशालय के अनुसार आधे डिस्प्ले यूनिट्स में रेलवे संबंधी सूचनाएं दी जाएंगी और आधे में विज्ञापन दिखेंगे। इसका मकसद खास सूचना की तलाश कर रहे या इंतजार कर रहे यात्रियों का ध्यान आकर्षित करना होगा।
भारतीय रेलवे अब कंपनियों-निवेशकों को ट्रेनों के नाम बेचेकर कमाई का नया साधन तैयार कर रही है।दसअसल इन दिनों भारतीय रेल किराये से इतर आमदनी बढ़ाने का हर संभव तरीका आजमा रही है। रेल मंत्रालय में नवगठित नॉन-फेयर रेवेन्यू डायरेक्टरेट रेलवे की संपत्तियों से पैसे कमाने के लिए केपीएमजी और ईवाइ जैसी निजी सलाहकार संस्थाओं के साथ काम कर रहा है। एनएफआर परियोजनाओं में सबसे महत्वाकांक्षी प्रस्तावित रेल डिस्प्ले नेटवर्क (आरडीएन) है। उम्मीद है कि लॉन्चिंग के छह साल बाद इससे सालाना 3,500 करोड़ रुपये की आमदनी होगी।इसके अलावा निदेशालय गैर टैरिफ राजस्व को बढ़ाने के लिए रेलवे पटरियों के इर्द-गिर्द व्यावसायिक खेती, रेलवे कर्मियों के लिए वर्दी का प्रायोजन और गतिविधियों एवं घटनाओं के प्रायोजन जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश दे रही है । ट्रेनों की ब्रैंडिंग के लिए रेलवे किसी खास ट्रेन से जुड़े रुपये-पैसे समेत नाम रखने तक के सारे अधिकार किसी एक कंपनी को देने की योजना पर विचार कर रहा है। इसके तहत ट्रेन के नाम से पहले कंपनियों के नाम का इस्तेमाल किया जाएगा।निदेशालय के अनुसार आधे डिस्प्ले यूनिट्स में रेलवे संबंधी सूचनाएं दी जाएंगी और आधे में विज्ञापन दिखेंगे। इसका मकसद खास सूचना की तलाश कर रहे या इंतजार कर रहे यात्रियों का ध्यान आकर्षित करना होगा।
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